. । २०३ । दशौ अंग पहिले पहिले इन्हीं ने कविप्रिया ग्रंथ में वर्णन किए तेहि पीछे अनेक आचार्यों ने नाना ग्रंथ भाषा में रचि प्रथम मधुकर साहि के नाम विज्ञानगीता ग्रंथ बनाया औ कविप्रिया ग्रंथ प्रवीनराइ पातुरी के लिये रचा औ रामचंद्रिका राजा मधुकरसाह के पुत्र इंद्रजीत के नाम से बनाया औ रसिकप्रिया साहित्य औ रामअलंकृतमंजरी पिंगल ए दोनों ग्रंथ विद्वज्जनों के उपकार्थ रचे जब अकबर बादशाह ने प्रवीनराइ पातुरी के हाजिर न होने औ उकूल हुकुमी औ लड़ाई के कारण राजा इंद्रजीत पर एक करोर रुपया जुरमाना किए तब केशोदास जी ने छिपकर राजा बीरबर मंत्री से मुलाकात किया औ वीरवर जू की प्रशंसा में (दियो कर- तार दुई करतारी) यह कवित्त पढ़ा तब राजा वीरवर ने महा प्रसन्न वै जुरवाना माफ कराया परन्तु प्रबीनराइ को दरवार में आने पड़ा। केशवदास २ सामान्य कविता है। केशवराइ बाबू बघेलखंडी सं० १७३९ इन्होंने नायका भेद में एक ग्रंथ बहुत सुंदर बनाया है औ इन के कवित्त बलदेव कवि ने अपने संग्र- हीत ग्रंथ. सतकवि गिराविलास में लिखे हैं। केशवराम कवि इन्होंने भ्रमरगीत नाम ग्रंथ रचा है । बाबू रघुनाथ सिंह के दोहे के अनुसार कवियों का समय शिव सिंह सरोज' से निरूपण किया जाता है। (१) ओली रायकवि सं० १६२१ कालिदास जी ने इन की काव्य अपने हज़ारे में लिखा है। (२) अकबर का हाल पहले लिखा गया है। (३) अगर कवि सं० १६२६ नीति संबंधी कुंडलिया छप्पै दोहा इत्यादि बहुत बनाए हैं। (४) अगर दास गलता जयपुर राज्य के नेवासी सं० १५९५ इन के बहुत पद रागसागरोद्भव रागकल्पद्रुम में हैं ए महाराजे कृष्णदास पय अहारी के शिष्य थे औइन महाराज के नाभा दास भक्तिमाल ग्रंथ कर्त्ता शिष्य थे। (५) करनेशकवि बंदीजन असनीवाल सं० १६११ ये कवि नरहरि कवि के साथ दिल्ली में अकबरशाह की सभा में जाते आते थे इन्होंने कर्णाभरण ? श्रतिभूषण २ भूपभूपण ३ ये तीनि ग्रंथ बनाये हैं।
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