शांतरस में कुछ अच्छी है सुंदर सांख्य नाम एक इन का बनाया हुआ. ग्रंथ भी सुना जाता है। (२०) सुंदरकवि बंदीजन असनी वाले रसप्रबोध ग्रंथ बनाया है। । मुरारि दास ब्रजबासी इन के पदराग सागरोद्भव में हैं। (२१) बोधा कवि १८०४ इन के कवित्त बहुत ही सुंदर है। बोध कवि बुंदेल खण्डी । १८५५ ऐजन् । (२२) श्रीपति कवि प्रयागपुर ज़िले वहिरायच निवासी सं० १७०० ये महाराज भाषासाहित्य के आचार्यों में गिने जाते हैं इन के बनाए हुए काव्यकल्पद्रुम १ काव्यसरोज २ श्रीपति सरोज ३ ये तीनि ग्रंथ विख्यात हैं हम ने ये तीनौं ग्रंथ नहीं देखे और न इन के कुल और न जन्मभूमि से हम को ठीक ठीक आगाही है। (२३) दयानिधि कवि बैसवारे के सं० १८११ राजा अचल सिंह बैस की आज्ञानुसार शालिहोत्र ग्रंथ बनाया । (२४)जुगुलकिशोरभट्ट कैथल बगसी सं० १७९५ ए महाराज मोहम्मद शाह बादशाह के बड़े मुसाहिबों मे थे इन्हों ने संवत् १८०३ में अलंकारनिधि नाम एक ग्रंथ अलंकार में अद्वितीय बनाया है जिस्में ९६ अलंकार उदा. हरण समेत वर्णन किए हैं उसी ग्रंथ में ए दो दोहा अपने नाम औ सभा के समाचार में कंहे हैं। दोहा-ब्रह्म भट्ट हौं जाति में , निपट अधीन निदान । राजा पद मोको दयो , महम्मद शाह सुजान ॥१॥ चारि हमारी सभा में , कोविद कवि मति चारु । सदा रहत आनंद बढ़े , रस को करत बिचारु ॥२॥ मिश्र रुद्र मणि विप्रवर , औ सुख लाल रसाल । शतं जीव श्रुगुमान हैं , शोभित गुणनि बिसाल ॥३॥ जुगुलकिशोर कवि २ शृंगाररस में कवित्त नीके हैं। जुगराज कवि बहुत ही सरस काव्य इन की है। जुगुल प्रसाद चौवे । इन की बनाई हुई दोहावली बहुत सुंदर काव्य है। जुगुलदास कवि-पद बनाए हैं।
पृष्ठ:साहित्यलहरी सटीक.djvu/२०२
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।