[१६८] था उसे फिर तर्जुमा होने को हुकुम दिया इन के समय में नरहरि १ करन २ हाल ३ खानखाना ४. बीरवर ५ गंग इत्यादि बड़े बड़े कवि हुए हैं परंतु खास जे कवि नौकर थे उन के नाम इस कवित्त से प्रगट होंगे। कवित्त-पूषी प्रसिद्ध पुरंदर ब्रह्म सुधारस अमृत अमृत बानी। गोकुल गोप गुपाल गणेश गुणी गुण सागर गंग सुग्यानी ॥ जोध जगन्नज में जगदीश जगामग जेत जगत है जानी। कोर अकब्बर सैन कथी एतने मिलि के कविता जु बखानी ॥१॥ श्रीगोसाई तुलसीदास तौ दरबार में हाजिर नहीं हुए * सूरदास जी औ बावा रामदास उन के पिता गानवालों में नौकर थे , जैसा कि आईन अकबरी में लिखा है केशवदास जी उस समय में इन के मंत्री श्री राजा वीरवर के दरबार में हाजिर हुए थे जब इंद्रजीत राजा उडछा बुंदेलखंडी प्रवीन राइ पातुरी के लिए बादसाही कोप में था। दोहा-जाको यश है जगत में, जगत.. सराहे जाहि । ताको जीवन सफल है, कहत अकव्वर साहि ॥१॥ गंग। गंगकवि (गंगाप्रसाद ब्राह्मण एकनौर जिला इटावा अथवा बंदीजन दिल्लीवाल) सं० १५९५ में हुए गंगकवि को हम सुनते रहे कि दिल्ली के बंदीजन हैं औ अकबर बादशाह के इहां थे जैसा किसी कवि ने बंदीजनों की प्रशंसा में यह कवित्त लिखा है। कवित्त-प्रथम विधाता * ते प्रगट भये बंदीजन पुनि पृथु यज्ञ तें प्रकास सरसात है। माने सूत सौनकन सुनत पुराण रहे यश को बखानै महा सुख बरसात है ॥ चंद चउहान के केदार गोरी साहि जू के गंग अक- बर के बरखाने गुण गात है । काग कैसे मास अजनास धन भाटन को लूटि धरै जाको खुरा खोज मिटि जात है ॥ १॥ . परंतु अब जो हमने यांचा तौ बिदित हुवा कि गंग कवि एकनौर -गांउ जिला इटावा के ब्राह्मण थे जब गंग मरगए हैं औ जैनखां हाकिम ने एक नौर में कछु जुलुम किया तब गंग. जीके पुत्र ने जहांगीर शाह के
- श्री तुकसीदासजी का काल यह नहीं है। हारेश्चंद्र
न श्री सूरदास कहीं नौकर न हुए । हरिश्चंद्र
- सूरदास मी के पद से मिलाना । हरिश्चंद्र "