पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/१७१

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इसलिए अंग्रेज़ पादरियों या जर्मन "माक्सवादी" कौत्स्की की ओछी कूपमंडूकों जैसी कल्पनाओं में नहीं बल्कि पूंजीवादी व्यवस्था की वास्तविकताओं में "अंतर-साम्राज्यवादी" अथवा "अति-साम्राज्यवादी" गंठजोड़—उनका रूप कुछ भी हो, चाहे वह एक साम्राज्यवादी गंठजोड़ के खिलाफ़ दूसरे गंठजोड़ के रूप में हो या सभी साम्राज्यवादी ताक़तों के आम गंठजोड़ के रूप में हो—अनिवार्यतः युद्धों के बीच के कालों में "युद्ध-विराम" से ज्यादा और कुछ नहीं होते। शांतिपूर्ण गंठजोड़ युद्धों के लिए ज़मीन तैयार करते हैं और स्वयं भी इन्हीं युद्धों में से उत्पन्न होते हैं, एक-दूसरे पर प्रभाव डालते हैं और विश्व अर्थ-व्यवस्था तथा विश्व राजनीति के भीतर साम्राज्यवादी बंधनों तथा संबंधों के उसी एक ही आधार में से संघर्ष के शांतिपूर्ण तथा अ-शांतिपूर्ण रूपों को बारीबारी से जन्म देते हैं। परन्तु मज़दूरों को शांत करने के लिए और उन सामाजिक-अंधराष्ट्रवादियों के साथ उनका मेल करा देने के उद्देश्य से, जो भागकर पूंजीपति वर्ग में जा मिले हैं, बुद्धिमान कौत्स्की एक ही शृंखला की एक कड़ी को दूसरी कड़ी से अलग कर देते हैं, चीन को "शांत करने" (बाक्सर विद्रोह12 की याद कीजिये ) के लिए सभी ताक़तों के वर्तमान शांतिपूर्ण (और अति साम्राज्यवादी, बल्कि अति-अति-साम्राज्यवादी) गंठजोड़ को कल होनेवाले उस अ-शांतिपूर्ण झगड़े से अलग कर देते हैं, जो शायद परसों तुर्की के बंटवारे के लिए एक दूसरे "शांतिपूर्ण" आम गंठजोड़ के लिए ज़मीन तैयार करेगा, आदि, आदि। साम्राज्यवादी शांति के कालों तथा साम्राज्यवादी युद्ध के कालों के बीच जो सजीव संबंध है उसे बताने के बजाय कौत्स्की मज़दूरों के सामने एक निष्प्राण अमूर्त विचार रखते हैं ताकि उनके निष्प्राण नेताओं से उनका मेल करा दें।

हिल नामक एक अमरीकी लेखक ने अपनी "यूरोप के अन्तर्राष्ट्रीय विकास में कूटनीति का इतिहास" नामक रचना की भूमिका

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