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सर्वोदय

कहना है कि बहुसंख्यक मनुष्यों के शारीरिक और आर्थिक सुख के लिए यत्न करना ही ईश्वर का नियम नहीं है, और केवल इतने ही के लिए यत्न करना नैतिक नियमों को भंग करना ईश्वर के नियम के विरुद्ध चलना है। ऐसे लोगो में स्वर्गीय जान रस्किन मुख्य थे। वह अँग्रेज थे और बड़े विद्वान थे। उन्होंने कला, चित्रकारी आदि विषयों पर अनेक उत्तम पुस्तकें लिखी हैं। नीति के विषयों पर भी उन्होंने बहुत-कुछ लिखा है। उसमें से एक छोटी-सी पुस्तक "अन्टु दिस लास्ट" है। इसे उन्होंने अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना माना है। जहाँ-जहाँ अँग्रेजी बोली जाती है वहाँ इस पुस्तक का बहुत प्रचार है। इसमें ऊपर बताये विचारों का जोरों से खण्डन किया गया है और दिखाया गया है कि नैतिक नियमों के पालन में ही मनुष्य जाति का कल्याण है।

आजकल भारत में हम पश्चिम वालों की बहुत नकल कर रहे हैं। कितनी ही बातों में हम इसकी