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दौलत की नसें

योग नहीं हुआ।

इस तरह हम (बीज) गणित का-सा स्पष्ट हिसाब लगाकर राष्ट्र विशेष की सम्पत्ति की जाँच कर सकते हैं। उस सम्पत्ति की प्राप्ति के साधनों पर उसे धनवान मानने या न मानने का आधार है। किसी राष्ट्र के पास इतने पैसे हैं इसलिए वह इतना धनवान है, यह नहीं कहा जा सकता। किसी आदमी के पास धन का होना जिस तरह उसके अध्यवसाय, चातुर्य और उन्नतिशीलता का लक्षण हो सकता है, उसी तरह वह हानिकर भोग विलास, अत्याचार और जाल-फरेब का सूचक भी हो सकता है। केवल नीति ही हमें इस तरह हिसाब लगाना सिखाती है। एक धन ऐसा होता है जो दस गुना हो जाता है। दूसरा ऐसा होता है कि एक आदमी के हाथ में आते हुए दस गुने धन का नाश कर देता है।

तात्पर्य यह है कि नीति अनीति का विचार