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सर्वोदय

सिपाहियों का स्थायी सम्बन्ध होता है,उसी तरह कारखानो मे नौकरों की नियत संख्या,बराबर कैसा ही समय आने पर भी कमीवेशी किये बिना, किस तरह रखी जा सकती है?

पहले प्रश्न पर विचार करे। आश्चर्य की बात है कि अर्थशास्त्री इसका उपाय नहीं निकालते कि कारखानेके मजदूरों कीतनख्वाह की एक दर निश्चित हो जाय। फिर भी हम देखते हैंकि इंग्लैण्ड के प्रधान मन्त्री का पद बोली बोलवाकर बेचा नहीं जाता। उस पद पर चाहे जैसा मनुष्य हो उसे वही तनख्वाह दी जाती है। इस तरह जो आदमी कम-से-कम तनख्वाह ले उसे हम पादरी (विशप) के पद पर नहीं बैठाते डाक्टरों और वकीलों के साथ भी साधारणत इस तरह का सम्बन्ध नहीं रक्खा जाता। इस प्रकार हम देखते है कि उक्त उदाहरण में हम बंधी उजरत ही देते है। इसपर कोई पूछ सकता है कि क्या अच्छे और बुरे मजूर की