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मण्या १] प्रसिद्ध गायक मालाया। ग दुमा । रामतीय पुरस्कार रोड पर पे पाहो फों धारप पर परे ? उत्तर में मालामरता में २. गुपचाप पर दिगे। पेपफ गिट्टी पर गये। कहा कि रामा तो अपने ही गम्य में प्रादर पाता उसमें पे यह लिग गये मेरो मात-पिया में ६, पर पिहानी पार गुणी जनों का मादर सारी प्रभी कुछ कमी है। उसकी पूर्ति दागे परती में मार- पृथ्वी पर होतामहरि मे मो इन मिदों के सोपनेपासियों को अपना मुंदविगाऊंगा। पार करने का प्रा अधिकार है। पमते फिरते घे तमोर पहुंचे। पही उन्हें मारा गण्गय पं. दरबार में मालाभन्दा पता लगा कि एक प्रामाराम विधा में पहुत प्रयाण की कर दफ़ पर्गमा दुई। फाजिम हुमन, मली है।ये उमर गम गप पार पनो मेपा-शुभग दमन, कन्द पार नसीरमा इत्यादि बड़े बड़े गये से उमे प्रसप्र कर लिया | HAT ने अपनी सारी दादर में युनाये गये । परन्तु मालायरा के मुका- पिपा मालाममा पो थी। गगप्रम्नार. साल- पिले में पफ मी न टहर मकन । मस्तार, म्परमस्तार, गमर, काल, मय, सन्धि, पदाद में रह कर मालामा ने सहीत की मुर्माना प्रादि सहीत-साग्र के जितने मेरे मम पड़ी उमति की। उम प्रान्त में उस समय मेरे सीरा फर मानसरहा रम यि में पारदलदो गये। गये थे उनमें में प्रत्येक में पाई म कोई दार उन्दै स प्रकार भारतीय चिमुर महीन-काया का दिगा दिया। उन्दै दर करने के लिए मालापस्दा पूर्ण मान प्राप्त करके मामायाता मारमोर कोमट में तिने ही शागिर्द तैयार किये । उनको विगुट माये । मामार के. महागड पालराज में उनका मालत की शिक्षा देकर मायापाश में इस कला को बत पादर-मगार किया। उनकी मांत-कला की निदाप धनाने की बदी घेरा की। स्पर-लपि के जांच करने के लिए दूर दर मे हिन्द गयेये पुम्लापे विप्र भी उन्होंने पनाये पार उन्दै अपने शागिर्यो गये । १५. मठीने मालामा पहो रहें। पर्गमा में फो मिपाया । मनोहर, परपे, मान्यप्पा, पोरकट, ये पूरे उतरे। उमदा के गर्यो में मे एक मी चित्रे, जाशी, पाटनकर, सक्षम प्रादि शागिर्दी में उनकी पारी का न निकला । सन्तुए होकर महा. मालाममा की शिप्यता स्योकार करके इस फला राप मारमार में एच. घमर. प्लेगी पार मरपेय में पत्र मिलता मात की। उनमें से दो पक ने तो देकर उनका सम्मान पढ़ाया। पहीं मानामा मे मतिलिपि के मपे नये मम मो जारी किये। मात्रीन शाही घराने की एक लड़की से शादी की। मामारा फलक में सात- पिण के प्राचार्य उमकी कासिरपुर सर फट गई राजा-महापौ महायश ज्योतिरिम्नाय टाकुर के बहुत दिन सफ फेरफार मे प्रामन्त्रण प्रान रंगे। मिहमान रद। महाराख मे मालापदा को पायसराय उस समय बाद में मदाग्रज गदराय गदी पार गवर्नर जनरल के सामने पेश किया । यायस- पर थे। उनके पुलाने पर माटानला योदे गये। राय की प्रामा मे एली दरबार में मामिल हुए । परन्तु यहां उन्हें मालूम हमाफि गुगमाहाता सङ्गीत-विद्या में यहाँ प्रपनी पर्याप्णता दिनत्या कर कारण नहाँ, किन्तु अपने दरबार की शीमा पढ़ाने उन्होंने बहुत कीर्ति कमाई। येही दरबार से हंट के लिए ही ये महाराज नारा बुलाये गये हैं। पक दिम कर, महाराज रानसिंह मामन्त्रय पर, कुछ समय अपने एक दरभारी की मारफत महाराज मराय मे तकपेजयपुर में मीरदे। या मी उमका पहा पाएर उनमे यह पुण्याया कि तुम तो पफ गर्यये मात्र दुपा। निजाम मे भी उन्हें पहुत कुछ पारितोषिक हो। तुमने ये एच पीर घमर ग्रादि राजमी निह देकर अपनी गुपप्राइकता का परिचय दिया !