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. सरस्वती। , . .:. wwwm ~-~-~..........… ............. . चम्म के पश्चात् तेरह माम इस यंश में पौर कार पार से मत मारामा, , पाये जाते हैं। उनमें मे इन मदरय, पृहकर्मन् . , पा भी उसका प्यार, मंत्री मुहद्रय, पृछानु, पहम्मनस,जयद्रय, विजय, धृति, घृतमत, सत्यकर्मन् पार अधिरथ ये बारह राजे विज मिरामा प्रसिस ये । प्रधिरय के कई सन्तति न थी। एक अपने ही हित मन, चमेती। दिन उसे गाड़ी में बहता हुमा एक मालक मिला। हरे हरे पत्र मिलेंगे, उसी के उसने अपना पुम मान लिया । यह कालक मुमन के सामान, मेसी । फुन्ती की फोन से. कुमारी अपस्था में, सूर्यनारायण प्रमर-भीर गुम्बर रेगी, , ।' के वीर्य से दुपा था। इसका नाम फर्ग था। इसने हम्मे हास-विधाम, मेसी . दुर्योधन से मित्रता की पार अम्त में उसी के लिए दिग-दिगम्म पुरमिरा रोमेगा.. इसने अपने प्राण सक दे दिये । कर्म ही प्रानय-चंश पाप समाद मुपास, चमेटी । - फा अन्तिम राजा था । इसी के साथ इस पंश रान्य की समाप्ति हुई। इसके पुष-पीन अन्त में पटप निमम को मूबमामा-. पाटोदी के साथ जा रद। मा में सबमरा, मंत्री, प्रस्त एमाली भी होता . . प्रम पापिस भाकमा, चमेवी ।' चमेली। नहीं रहेगा मगर , । मी मनपर , मेसी। मुम्दावा की पराशि तुम . निराधार से मिजम होगा . ' , पानुनम की पाम, चमेली। ...तुममी कम्पा मारत मिनम पर की एब, समी।. । .. देगा मगमन, मेसी । माम विदरी ग ' समापन पत्रों में प्रबन रही रात, ममी। प्रमामय इममिव होने रेपो दुमा ममान मेबी। 'प्रेम-मम प्रेमी बाग में प्रमानी गान, कर्मशी। जिसने तुम सा पारा भमानाम, पमेगी। प्रसिद्ध गायक मोलाघश । PAAM सम्मामो धर्म पफ सम्पपाय मु) नाम म्फीस सम्मका अनुयायियों के सिद्धान्त दान मिसान्तो मे मिटते नुसतं इमाम मन्यन में अपना एक.' पनाया है। यहाँ से इन्होंने अपने धर्म की पुर मास्टना प्रारम्भ किया है। एक त्रैमासिक पा मी इनाम माली है। उमफे शीन चार चुके हैं। हिन्दुस्तान के प्रमिस गाया मामा जा-पात्रा में मानेगे कमी मी दुषमार, पमेयी।