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संख्या १] कालिदास का समय। परगावी हाकवि अपनी सरिता-सारा घोपणा करने है।"रघुरपि काम्यम्" की साम मापा से म मिनमा हो गते-पाजीवन मुबापभोग ही के लिए भीवन के अधिक मुग्ध हो । तना ही अधिक मन में या मिरप मोगधार सीवरह पिए होईपर की ग्पासना माफि मारत के जीमित समय में मारिरी भारपसा है। पोनशिमो और बासरन, सपिकलगुर सरल भाषा धार मनहर भाव के मारिपि मे माप म और शेषमपिपर प्रादि संसार में भवतीय ते। सम्मीकि, मे तो उसके पन्तिम ममप के गायक कामि. पापोका मागियो रेशिप में इन भी करने का प्रपाम बस। कालिदास के पुश का मित्रमा पाठ भार जा रहस्ते । गीर-अगत् पो ही रिकी अन्तरारमा समम कीजिए, मापके मन में या विधाम मतमा मेला म सी बारे पोगान प्रारम्म र से। इसी समय सायगा कि बा भायों से गाय, भामापाम्प, पापी अध-विषयः सबा समाचार सुनामे के लिए एक और प्रकार के एप्पन आपके प्रमाक निक्षोन्मुप बीपक की मीमा सन्म मेते हैं। परक का वसन्त र प- प्रज्वलित पग्निशिता के समान है। to पर खचित रती के लिए, रसे तिरोहित होने में पचाने शिए पर सहारा पिपता के पिपानी को मानो 'गुप्त-मूल-प्रप' रम्प भारत-विजय निर्षि समाप्त समझाने के लिए किमी दाम्ते या मिना जन्म तार हो गया। 'गा-सप्य' प्रम मे इम्युममी मात र भिषा हमारे पास बिपने का मतलप पाकिकाभिदास का समयमा पराम्प भी हो पा । ति भपिप्पर में पापिब स्पर पतमापे हुए किसी भी पुग में मस हुआ। पीप ही भारत की राजधानी अपारा के राजमागी पर प्रतएव मारतीय साहित्य को जरा रेसिपप्रनतम गीदड़ो का समूह निमे अगेगा-सके मरमटूर- पूर मैम से बाहर निकास र साहिल सेवी की सेम संगर पो जायगे- रसके सुन्दर भार रमयोग बागी माशिवास का स्थान मिक्टिसमा वाम गहमी भोके पर बन जायेगे । कासिदाम में नाम लिया 'निशाना मातापिपास का पुष मस्त-साहित पा कि पपपि 'भासमुचितम' ममुरगुप्त रेगमप मे गुस में एक प्रभुत पुगस समम सलिए बी समप रामापी का एकराम मारतत्र में पला पातापथपि 'पा मिसे मय भारत में नप पा"मासे मारे याने सापपर म-रामचम कीमी पुरानी प्रपोप्या पोगपमापारिए। इसमा किमाणस्थायी "मम्य पुण" में-अपनी रापानी की म्यापमा परी मपि पनि काभापिस समय तामिस समय किसी जातिहणौ का परामर मदिरापापि पार्पयति का या जीवन का पापा सम्मेप प्रारम्म तापपरा सके मम्मुदप स्वारी नदी, वर पपिएर गयो में पन्तिम सलाममप माता-निम समप विज्ञान, पिमलकर भारत की पण पुनामदी भवती समान, पर्म, पारिख पारि सारे सप समभार से सम्मान गायगी । भाप लाग गोरते दोगे कि रपुरा में गुप्त रामापी प्राप्त करने पर म प समप साहित्य महाप्रपा प्रपेश गया ! गममें गुरु रामसर्गा 'मा भर परमग दोनो, माती और पर्पोमा परस्पर काम मा से गमन प्रप्स दिया ? मुनिए । मारमा सम्मिलिरा देशपाम गधाविसमप पोधियर सगुरगुप्त का माम भार पर पमपाय रेरा समय रियापार मा में निप्यात, पगिता से सुपरिचित रहा। पर, रामम समरामा पारी कोई गेटी, रामायण पुर दिलीप गुम, लिये मार माम. पामामिदार माता । माकर यातमारा पा मारिप बताते हैं, गमका पार गुम्सागुम पार गर. । म स ममप रोिगा पापी मारा समान मारिप गुम ममी मारम २ पाप राम पे गुम प्रमतय पिशासी पानी परम में रिमी रासी में समाप पर ोिया मरने मादिपरोपी भिमुमामाला पार सिमेणि अपकी राजधानी मी पापितलीपीमी पर रिसिप जितना कि पंपरी माप, सारिप में, मी मदत जिगातहतमापि मारा न मारता मारत एक HR से मिरिकनगर tettr.