पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/७२७

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to इंडियन प्रेस, प्रयाग का सर्वोत्तम पुस्तकें सदुपदेश-संग्रह। 'प्रेम मुंगी देवीप्रसाद माझ्य, मुंसिफ, आधपुर ने नई पा, पुस्तक कविता में है। पण्डित मन गिल मापा में एक पुस्तक नसीदवनामा पनाया मा । पी० ए० गमपुरी फो, हिन्दी-समारपाठी न ममकी फट पचाय भार पराड़ फे पिपा-पिमाग में जामता है। उन्हों ने पांच सा.पपों में पक प्रेम काम पाहव एई। पर फई पार पापा गया । उमी का या लिम्स फर हमकी रपना की है। मूस्प ।पार म हिन्दी अनुवाद है। मप देशों के पि-मुनि, पार भाषा-पत्र-योध । । । मदात्माने सपनं रपित प्रेघों में जो उपदेश लिये।

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पह पुस्तक पालको पार नियों की रपना की गई है। पिना सपदेग से मनुष्य का योगी नदी मभी के काम की इममें दिनो। मात्मा पपित्र पार पलिष्ट नही हो मफया। परम्पपहार करने की रीनियाँ की पाम ग से लिखी गई। मूस्य -HI. इम पुम्नफ में पार पप्याप है। उनमें २४१ . पपदंश हैं। पदंश मप तरा, फे मनुष्यों के लिए। व्यवहार-पत्र-दर्पण। नगं ममी मन्मन, धर्मात्मा, परोपकारी पार पतुर फाग-काज के दाणा और प्रवासी बाग पन गफन है। गूम्प केयल ।) पार माने । का संग्रह। भारतवर्ष के धुरन्धर कवि , पद पुस्तक काशी-नागरी-प्रपारिहा भभा र भामागुमार उसी ममा के एक ममामा र (सेना, नाम्सा स्नोमन .प.) लिपी गई है। इसमें एक प्रमिट पोम को संधार स पुफ में पादि-कपि वाल्मीकि मुनि से लेकर प्राप्तव के सैकड़ों काम-कान के कागगों न माप कपि या संगम के २६ पुरंपर फपियों का छापं गाइमकी भाषा मी पाही रोगों पौर पद कशि से प्रारम्म फरफे गमा मरमपमिट पदालतों में लिपी पदी जाती है जो मारत सफ हिन्दी ८ फपियों का सरिराम वर्णन है। से लोग प्रामस के जारी कामो को नागरी में से कौन फपि किम समय मा पद भी इसमें पालापा मगमा से फर सीमा गपापुमा पहुच काम की। गम्य कैयन ।। हिन्दीध्याकरण । पार पाने । गरम्पयामा. . पाक्प्रकाश । पर भी मपंग मा पार हममें रोटी, दाम, दो, मागी, पौदी, रापना, म्पारयगर पिय पी दंग पर रिपोर पटनी, पपार, गुरप्पा, पूरी, काग, मिटा माल. मादरपोकर vिaiगोपा पुभा, मादि बनाने की मापी गई। रे गममापारि की परे बड़ा मूम्प ) सपा माता गृप .. . पुना मिलने पापा-मेनेजर, ईडियन प्रेस, प्रगग।