पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/७०४

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सन्या १] . पुस्तक परिचय। सबंधी में चार पुस में भेजने की मा श्री है। पाती १८-गयायासी भागवत । माहारबा, पृष्ठ-सम्मा पुस्खकर-जीपमध्यपहार । इसकी पसंम्मा १९.६, मा. माम सवा रुपया । इसकी रचना पण्डित चतुमुम पर मुत्य पुस्तक पर विच्छ महीं। इसकेप टावाब- मि मे भीमदमागमतदएम स्कन्ध पीर सूरसागर के सिंह ने इसे मयुरको लिए शिक्षा है। प्रवेश रिपो भाभार पर श्री गाय, पापा, सहा और सोरस पायों पर मापने अपने विचार प्रकट किये हैं। भारम्मिक शिक्षा, का प्रयोग मापमे किया है। सम्पावतार की प्रापा ,समी पियाम्पास, पुरकावरोकन, भारोम्म प्रादि पर भापके कपा इसमें भा गई। यइप पा, पाई और कागज पिचार बहुत ही स्पपागी वूसरी पुष्कर-पारको साधारण नामागही, शिवमुहानी, गया के पवे पर बेसक का सपार। इसकी प-सम्मा ५१ पीर मूल्य ३ भाने पोखिने से पह पुस्ता मिलती है।। है। पर हनुमतसिंह एषुपंशी चार पणित पनाशाम सा ने इसे मिला है। बाकी के सुपार से सम्बन्ध रखने गाची अनेक मापापक पातों का रखेख इसमें है। तीसरी १९-दक्षिण अफ्रिका के सत्याग्रह का इतिहास । पुखक-पाल-शिक्षा (रितीय माग) की ए-सम्या भाकार पड़ा, एट सम्पा 1.1, मूल्य मे रुपया । इस सम्म २१ और मस्य माने है। पा एक प्रयराती-प्रसार मा, दक्षिणी पपरी तियन ओपीनियन बामा पत्र अनुवादमनुवारक-अन पूर्व सिंह पम्मा ।सोय का एक विशेप भ (Golden Number) निमाया। पौर "वदेशी" पर प्रेम स्पा करने के लिए, बातचीत ग्समें भी इसी सत्याग्रह का इतिहास था, गे इस समा- बमा, इसमें सदुपदेश दिया गया है। पाने के लिए दी सोप्प पुक्क में है। उसमें भी प्रापापही चित्र में जो इसमें मही, पौरो के खिएं मी पापो काम की है। बीपी पुस्तक । पर भर अंगरेड़ी में पा, या पुस्तक हिन्दी में है। है-मेरी कुण्य-गाया। इसी प-सम्मा १८ और मूम्म परन्तु इस पुस्तक के मनाक का कपन है कि इस मार के-"निकलने से बहुत पूर्य पद पुस्तक पिसी मा पुन .भाने है। यह पर हनुमन्तसिंह रघुवंशी की रचना है। पी" । प्रस्तु । इस पूर्वविसित. पर पमा प्रकाशित पुस्तक तो पा पम्पास, पर इससे पहत शिपा मिती है। से दिदीकी कुरमी हानि नहीं। पुस्तक में अनेक सुन्दर मनोरम्पर पार शिवा-प्राप्ति होने वालें इससे देती है। मुम्पर विर, स्नमें से एक सरस्वती में निकर भी . सभी पुखी मापा सार है। सुके हैं। पुस्तक में क्या है, यह इसका नाम ही बताया है। दिमें इसके विषय में पिरोप पाछे मारने की को १७-स्वामी रामतीर्थ, भाग पहाया । भाररियन ओपीनियन शिपा के प्राधार पर प्रकाशित " ममोसा, श-संप्या 1, मूम्म ११ मारे । पण्डित भारत पा सचित्र रेखदेखें.मो सास्वती में किया । । विएफ और रामाम्प नामुष बर्वे, स्वामी रामवीमें minitADE म्यामाने का प्रमुवार ममा भाषा में मचायत भर पीर समापही" श्रीयुत मवानीदपाठ, परबन, पेराव। इस' प्रथमाकर भागों का परिचय सरस्वती में दिया या पुका। इस इस माप में रोकपर्म, पाम २ हपा, माझवप मादि पाप्मानों का भमुपदपामी २०-सननी-जीयम । पाकर पेय, श-पमा जीम सम्बर दिन भी है। प्रारम्म में मापना और १२९, मूल्य ६ पाने, मिखने पता-दिमी-र्तिपी विपप प्रभेग नाम का यो पेस रसमें स्वामीया और ग्म काप्यामय, देवरी, सागर । इस माम की एक पुस्तक पसा पूर्वोक म्यामान से सम्मान्य रसमे बाप्ती प्रवेश मात्वपूर्ण में है। इस सेवा वा निमशास मुत्रोपाध्यापारसी पाते हैं। मबीर और उत्तम विचारों से पुस्तक परिपूर्ण है। स पर हिन्दी प्रमुबार। अनुवाद६, पण्डित ए- प्रमुपादक मदम्पयों को निपने से मिखती है। पता-औरणी सहाप चतुर्वेदी । पति और पत्नी की पासपीस के पाने इसमें पार की बाली, पोस माता, बम्बई।. अनेक ऐसी पाने लिमी गई जिनका मानना मातापी