पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/६९२

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संख्या ६ • विविध विषय। ४२१ "हिन्दू' से सम्बन्धमा दिया । तब माप तामीस मापा १-संस्कृत शिक्षा के लिए शान-मृधि । के "स्वदेशमित्रम्' नामक पत्र का सम्पादन करने षगे। पाद विविधासय ने संकसमापार म्से मी मापने .वष सात कर दिया। इसके माता को लिए १. मासिक पानाति देने की पोपना की । यह मापने पात पापा। रसका हमाद र दूर तक सुनाई पति सी बात को मिचेगी यो पूछ विचविचाबप की देने लगा। मा.पन्न मी दैनिकमत्रा प्रहारह बर्प से एक निरोप परीक्षा में उत्तीर्ण रोगा। या परीक्षा इस वर्ष का प्रती l बराबर देश सेवा कर या हमारे प्रारत में सो बोग अंग- पापी तसरी भगतविपविणायके परीपा-भवन में रेसी सिव सक्से और गो अंगरेमी में पर-सम्पादन र होगी । प्रम-पन हो रहेंगे। पापा पत्र संस्कृत से अंगरेगी पु वे अपनी मातृ-माषा में सिखना और उसके पड़ों और अंगरेजी से संस्कृत में प्रमुगाव का होगा । दूसरा पर का सम्पादन कामा अपने लिए कहा की पाी, तो अपमान संस्मत-म्पारण, पाणी, माह और संस्कृत साहिम के की बात समय समझते हैं। पर सभी का नहीं, पर सिगा इतिहास का होगा। इस पिपये पत्र में साहिम के इतिहास । म प्रमिश का प्रपश्य है। कुछ समय से हवा का सम से सम्बन्ध रखने वाले पानोपनारमा प्रम भी पूचे गायगे। मकर पदबने माग दिपा रहा है, पर समाधान की परीक्षार्थियों को कम से कम २५ जून के पहले पाताबोगी पप में परमात मही पंसती कि प्रापनोपन नीचे पिसे पते पर भेगमा चहिए- मातृभाषा में मनुष्य मिठनी खूपी से मिल सकता है गम प. वीनिस, सी. पाई.., म्वनी पी से अप्प भाषा में नहीं लिख सन्ता । ये देखते गस बाक (Voods Lock) किसकी भावई मापा पोलने पाये अंगरेन अपनी ही मैनीताल भाषा में लिखते हैं-मच, मर्मम या विस्तुलानी में नहीं। परीणार्थियों को पायता देना होगा कि समामि संसहन परन्त, पिन भी. इम तो कुसवार इन पप पर इन्ने किस विषय का कितना अप्पयन किया है। प्रात् इमा- अदीमत हो गये किये दिखाये नहीं दिखते । मस्तु। हावाद-विश्वविद्याप की बी. ए. और पम्. ए. मी समय में और भी फत्रों का सम्पादन मरे प्रेपियों की पापपुरकों के सिवा महामे संस्कृत के किस समय कमाया। माप मोम सेवक। अपने पत्रों किस विषय के फोन न प्रम परे। परीपापियों ने सिवा अम्पन भी पाप दिया करते थे। पापी सिसी प्रणे पावसान का प्रमाय-पत्र भी भेगमा पड़ेगा। वो एक पुमुप भी यो पो मोब की सर जिन पायों को पा पातहत्ति मिलेगी ग् संसात- फीरोज़गार मेहता, मिस्टर गोखले, मिस्टर इणसामी पाइ- मापा ही मन्पो के अध्ययन में अपना सारा समप बगाना पर मादि मापकी मोम्पदामपतये। मास्तर की पड़ेगा । विविधावप के प्रम्पापको की सम्मसि के अनुसार माम्पत्तिक समस्या का प्रासपा सपा शाम रपसे। गमम्पदा करना होगा। पिधविधालय का प्रपिपरि- देसी-मीयम सामने, इस विषय में, मापने सोपान मसासमय समय पर जिन नियमों का निर्माण करेगा, दिया था पाप माका। कामों को गनका पानम करना होगा। इस पोम्मा से संस्कृत को दूसरी मापा सौर पर सुमारण्य महासप समम्म सुपारण मी थे। भाप मिर्गीष . पाने का अंगरेदीदा चार्यों को वाम अपस्प देना । समके और हानिकारिगी पुरानी मौके परपाती न थे। परिमित सहा-सादिम के हार की मात्रा बढ़ बापगी। १.१ में जो प्राविंशम कामरम्स मास में पी सके इससे सम्मब, मागे पसर पनका पर अम भी दूर हो समापति प्राप दीइए। जाप कि सप्तहान मुर्दा मापा-का सादिम बिनाप, भाप गपन्न "स्वदेरामिन' अपना काम बरामकिपे , असम्पम, मनुपयोगी और निस्सार है। मारहा। प्रापही मुपोप्य पुन एस. विश्वनाप, पी. १०-सरकारी छात्रफुत्तियाँ। प., सपना और मालिक है। भारतीय मात्रों को विवश र र शिक्षा प्रम्स करने