पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/६३४

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संख्या ] . . माधुनिक हिन्दी कविता। सच कहने से माह मन में गाते हैं। प्रति गमतीस दुष्ट, पाते। पपात से पूर्व पप में पहाते अबसर पार रिच मासे पर बावे ka यहाँ इस सर से मम मन्त-प्रेम में यूर हो। नयों में प्रकृति-मिय कवि पहा पो मूने मगहर हो। , समयो भारत-ब प्रमी अब नहीं गपा, बस मोग प्रमी वम की मिया है। सत्य-पूर्वाप साथ ही साथ दया है।मान शम पर कमी मूळ का हमपा ममी मारे सामने रम भादर्श है। साप-प्रत निह से पाते मन में ka हो मस्प को मित्र कपर मिप्या को सागो र पैशाचिक कर्म समय र ससे भागा । माया में मत फैमा मेह-निमाको मागोमागो बासो बम्पु ! भवा भब तुम गो। हरिराम से स्वर्ग में पूर्ण देश दुग पा रहे। रोमन कर रहे, भभु बहावे ना रे "सही" माधुनिक हिन्दी कविता । पर सरस्वती में दो सियों केम्प में पुरानी और बहे कवि- सीवित पे थे ये भी इसी मा घोतक कि anी बात है कि हमारे बिन पूर्णगो मे माइविकसिन्दीविता में विशेष भवा", "पोत भया are और कहा की प्रायः प्रत्येक और पास विवा" की मममार रहता है। दुः सपा में पारियो स्पति कीबी शिम्मी कविता कीस प्रमोपति का कारण TA सदी की साधान इम बोगों को भाब समझ में नहीं पाता ईकाई हो पर काते कि अफी और पुरी कविता का अन्वर मान युग कविता के लिए अनुक्ष्म मी, वॉकि भाग मही पान पसा सिपी छविता के प्रभावका भारम्म तो कम पोपों की हद प्रयोगई इसलिए ये बोग सी समय से हो गया है पदोहा लिखा गया था कि कविता को कवियों के दोष समझते हैं। और ऐगो "भर कपिपोत सम", इबादि परम्त भाव को समा प्रऐ कीपात तो हम नहीं कर सके। पर मार मप्पी कविता चित् ही मिबती । “सो पोखी' की में सर रवीन्द्रनाय सहर महोदय ने अपनी अपूर्व कविता कविता का भासम्म ए मगमग पीस व से गपे, पर मे इस मत का मन कर दिया है। इसरिए पब हमें रो एकरोड रन हो इसके और कपियों में प्रसिद्धि हिदी पिता की भवमति के दूसरे दो कारव बोक्ने पाई और न ऐसी कविता मी बो दबासीदास की पाइनों पारिए। इनमें से एक काय बोया माल पाता है कि समान मापदों में प्रचलित होती। इस पाव कई अभी तक रिमुनियों से भरमी मार-मापा पर भडा प्राय कि प्राय की पपिग कविता -प्रिय नहींई। बिस प्रकार विपाभी किसी मापा का नया प्रया नहीं है। पहम सावि-सम्मेवन के एक मेख में तो यह बालपण, प्रथा पावसार अपमी बरताप में "पेच बान पड़ता है कि अभी तक हमें पही मही माम कि कम प्रकारे रसका प्रमेाग पदेते सी प्रकार हमा प्रविता किस "" की बी चाहिए। दस-बारह वर्ष हिन्दी-मापी माई म्या अंगोषी मावा बोलने में