पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/६०१

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और इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें . भारतीय विदुपी। भाषा की उत्पत्ति कदा से है। पुखक पड़ी भोज । इस पुस्तक में भारत की कोई ४० प्राचीन साम लिखी गई है। हिन्दी में ऐसी पुस्तक, मभी विदुपी देवियों के संक्षिप्त जीवन-परिस लिखे गये है। कहीं नहीं छपी। इसमें पार भी फिक्नी ही न त्रियों को तो यह पुस्तक पढ्नी ही पाहिए, क्योंकि स्वानी मापामों का विचार किया गया है। मृत। इसमें स्री-शिक्षा की अनेक उपयोगी पाते ऐसी शकुन्तला नाटक। .." लिखी गई है कि जिन के परने से स्त्रियों के हृदय कविशिरोमवि कालिदास के शकुन्समा नाटा में वियानुराग का बीज महरित हो जाता है, किन्तु कौन नहीं जानवा ? संस्कव में जैसा पढ़िया पद मास पुरुषों को भी इस पुस्तक में फिक्नी ही मई पावें छुपा है पैसा ही मनोहर यह हिन्दी में लिखा गया है। माषम क्षेगी । मूल्य ) कारण यह कि इसे हिन्दी के सर्वे कासिवास राम तारा। लक्ष्मणसिंह मे अनुवादिव किया है। मूस्म । यह मया उपन्यास है।मैंगला में "शैशवसहचरी" हिन्दी-शेक्सपियर। नामक एक उपन्यास है। लेखक ने उसी के अनुकरण छः माग पर इसे लिया है। यह उपन्यास मनोरम्सक, शिवा- प्रद और मामाणिक है। पह पड़िया टाईप में छापा , शेक्सपियर एक ऐसा प्रविमायाप्ती कवि F गया है । २५० पेज की पोपी का मूल्य फेवल ॥2) है जिस पर योरप देश के रहने वाली गौरासी को ही नहीं किन्तु संमार भर में मनुष्य मात्र गारफील्ड । सिमानारला पाहिए। इसी मगप्रविष्टिय इस पुस्तक में अमरीका के एक प्रसिद्ध प्रेसी- के नाटकों पर से पे कहानियां पिलास मोरंगा सेंट "जेम्स एवरम गारफील का आमनपरित लिखी गई हिन्दी सरश और सरस है धाम लिस्मा गया है। गारफीस ने एक साधारण किसान के समझने योग्य है। यह पुस्खा : भाग: के पर अन्म लेकर, अपने प्रत्साह, साहस पार पिमाजित है। प्रत्येक माग का मूल्य मात्रा संकल्प के कारण, प्रमरीका के प्रेसीडेट का सोच और सौभाग एफ साथ लेने पर पीनगर' पद प्राप्त कर लिया था। भारतवर्ष मव युवकों नूतनचरित्र ।। को इस पुस्तक मे पास मण्या उपदेश मिल सकता (बा रवा दी. ए. और प्रसग मिनिस) है। मुस्य ! पो को उपन्यास-प्रेमियों में अनेक उपन्यामत हिन्दीभाषा की उत्पत्ति । होंगे पर दमारा अनुमान है कि शायद उन्होंने रे। (खेपर-पडित मसापीरममार दिरंदी) उत्तम उपन्यास प्रान तक कहीं नहीं देखा ' यद पुस्तक हर एक हिन्दी माननेपाले को पहनी इमलिए हम बड़ा ज़ोर देकर कहते .. पाहिए । इसके पदने से मालूम दोगा फि दिन्दी 'नवनचरित्र को प्राय पदिए । मूल्य १० पुस्तक मिसने का पता-मैनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग ।