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स्या १] घलगारिया। नई एक हजार से ऊपर पाचनालय हैं। बड़े पड़े हैं। मितव्यय करने के कारण ये हर साल कुखम गरी के मुत्य मुख्य स्थानों में ध्यास्यान भयन भी कुछ रुपया पचा लेते है। उममें अच्छे अच्छे व्याख्यान-दाठा के व्याप्त्यान पलगारियायाले भ-युरे फाम का प्रयया माम या करते हैं। इन प्याम्पानों के समय यहा समारोद रगत है। प्राप किसी से कोई नुनित काम परमे ता है। सर्वसाधारण इन्हें बड़ी अदा से के लिए कहता पद फ़ौरन जयाय देगा कि पैसा न है। करने के लिए उसकी प्रात्मा गवाही नहीं देसी । जैसा ऊपर कहा जा चुका है, मारसयर्प की धैसा करमा उसके लिए लपाजनक है। यह अपना रिह बलगारिया भी कृषि-प्रधान देश है। यहां के समय व्यर्थ याद-विषाद पार. मले-युरे फी व्याप्स्या अधिकांश निघासी प्रेती ही का काम करते हैं। में म यितायेगा। त्येक मनुप्य अपने स्नेत का फरदार समझा जाता यलगारिया में अनेक प्राप्तियों पार धो फे है। वह अपनी मेती की पैदायार का दसवा हिम्सा मनुष्यों का नियास है। ये सभी अपने अपने विधाम कर के सार पर राज्य को देता है। कर न अदा कर के अनुसार धर्माचरण करने के लिए स्वतन्म है। सपने की हालत में यह ज़मीन से पेदखल क्रिया कभी किसी के धर्माचरण में किसी प्रकार का जा सकता है। रुपको के सुमीते के लिए यलगारिया व्यापात नहीं होता । पलगारिया का राम-रामा में एपिसम्पन्धी एक यक है। देश मर में उसकी शरघोडास थर्च नामक ईसाई सम्प्रदाय का अनु- शाखायें घुली हुई है। उनके द्वारा किसानों को यायी है। इस सम्मदाय के प्रधान पादरी सर्वसा- रुपि के लिए प्रासानी से रुपया मिल जाता है। घारण प्रजा के द्वारा चुने जाते हैं। परगारिया में गेहूँ, धान, ममा, जी, बाजरा, ज्वार वलगारिया में लाफ धार सकियों के विवाह अधिक पैदा देता है। तम्पाफ, घुमर पार गुलाप का समय नियत है । वियाह के समय एप की की भी पेती यहाँ होती है। इन सय चीजों का चालान उन १०.पार लड़की फी १७ साल में फम न देनी विदेश को होता है । गुलाब के फूलों से पदोन चाहिए । चियाद का सारा कार्य पद के पुरोहित पनता है । फाई ४० मन फलो से माघ मेर इन पार धर्मन्यासयो द्वारा सम्मन्न दोसा है। धर्म-यासर सियार शसा है । इन पढ़ा दिया होता है। पर मार पुरोहित दी पति-पत्नी फे स्याग फे मुसामा फा पेरिस पार सदन साता है, जहां उससे मोकों भी विचार करते हैं। परगारिया पं. रमा पुगप कपट- प्रकार के पार ए प्रादि बनते हैं। प्रेम फरना बाम फम मानत है। प फ धिमार्ग परगारिया के मनुप्पो फी रहन सहन पाम पर पनि प्राधात महाँ करना पी भी पति की पर सीधी-सादी पे अपने घरी के दी युने हुए माटे प्रकार सहायता करती है। मीमै पनिी में कपड़े पहनते । शालीन महा। फिमल घीसा सहाक देने की माग्न काम पम पाती। लिए प्रपना पन लुटाना उचित नहीं समझते। मापाररा जीरन पमीत फरणे पर. मी पा. अमीर पादमी तक छोटे सारे घरो में रहते हैं। इन गारिया के नियमियों की तन्दुगनी पम्प देश के यगे फा फर्क मिट्टी का दीना। न्दंगटक- नियमियों की नन्दुस्ती मे पीउनागर मटफ पिसकुल पसन्द महीं। पलारिया के निवासी ग्रह पर भ्रमगरि दाताहै।रोग दबम अपनो रस म्यिान से यथेट सन्तुए रहते ६।पदी मताता है। पारण है आधे सर्पदा ममन्न पार ए-पुष्ट देव पड़ते पसगारिया की राजधानी माफिया ग्राम गन्दर