पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/५९७

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ॐ इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें बालहितोपदेश । प्रकार का भोजन करके, मोराग रए सरदार १५-स पस्त पाने से पाठकों को यति इमर्म प्रति दिन के पात्र में मानेगी पाने पदवी. मोतिको शिखा मिलठी मिसवा पीला फे गुराशेप मो प्रपछी तरह पदाये गई। मामों का मान दोवा और राममा पसे मेंन मूल्य केवल II) माठ माना फेंसने और फैम जाने पर उममे निकलने के उपायों बालगीतालि। . पौर कईयों का पोध हो जाता है । यह पुस्वत, १-इसमें महामारत में मेहमान पुरुर दो या त्री, पास दो या पहा, समी के काम समद किया गया है। उन गोतामे में ऐमी र की है। सूत्य माठ माने। . दम ग्रिण६ कि जिनके अनुसार पास करने चालहिन्दीव्याकरण । मनुष्य का परम फत्याख हो सकता है। १६-यदि भाप हिन्दी व्याकरण के गह, पिपयो मा किदिन्दा-यमी इस का पद कर को मरस और मगम रीति से जानना पाहतयति गिपा का झाम करेंगे । मूस्य ।।) पाठ माने। पाप दिन्दी राय रूप से लिखना और पोसना पालनियन्धमाला। . ' मानना पाहत ६, वो "पालदिन्दीप्याफर" २०-समें कोई ३५ शिणवापक रि पुस्तफ मंगा कर परिग भार पपने पाल-पों की पड़ी सुन्दर मापा में, निम्प निमें गरे, पदाइए । रसूलों में लदकों में पढ़ाने के लिए या बालकों के लिए वो पद पुरुषक उपम गुरुगर पुमा पानी उपयोगी है। मूल्य पार पान। देगी । मूल्य ) चालविष्णुपुराण । यालस्मृतिमाला। । १- मोग सम्व मापा में निपुण्य को २१-मने १८ मविपी का मार-मंग । कयामी का पानन्द नहीं स्ट माने, मन्द 'पाल- फर पद "पानामसिमाना" मासिक रिप-पुराग' पदना पाहिए ।इम पुराण में कलियुगोसनायनधर्म के प्रेमी अपने अपने पाकी मपिय रामामी को शापती फा पर सितार से में पर धर्मशान को भुगतादेकर नापति न किया गया ।इम पुमरको बिमारत का प्रयोग करेंगे। मम्य इस भाउ भने। का मार ममझिए । मृत्य।" पालपुरागा। घान्न-वास्थ्यरक्षा । २२-मापागा के गुमानित -प्रकाप को इसकी एक का मसारह मरारागारमा 'पामाद अपने पा. मैं रानी पाक्षिपदारसी पारम्म तिxिपर्ने प्राय पुदी की मेरो म पु परफर गरम्य-गुणा * पानुपी द र पर मौला htनन करना चाहिए ।इगरा. किमि पुगत मे गिने htrate पागमा प्रकागि मामा कामी। मुना मिस मैनेजर, हरिपन प्रेस. प्रयाग।