पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/५१४

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सख्या ५] भाय-परियन। "तय फिर प्राज्ञ गत की ट्रेम से दी शहर इस पातचीत के बाद ये दोनों एक दूसरे में डार देना चाहिए !" उदा हुए। "मुशीले, कैसा पुरा प्रस्साय करती है ! शान्त रदा । इस हरफ्त में हमारा पार नुम्दाग-धोनी . मपितम्पाना धारातिमानि । का-मुंह काला दागा।" "माफ ! कड़ा फर है । जान निकली जाती है। "पर पदय ता शान्त होगा, मदन ।" अरामा पानी पिलाना।" "मुशील, यद शान्ति फलकालिमा-मिश्रित है। मुनीति ने प्लेग से पीड़ित अपने पनिदेय के मुंह उसमें मुपनदी, प्रानन्दमदी पार निश्चिन्तता मदी।" में चांदी की घम्मच मे धाडा मा गुलाबजल मिया "पर क्या म्यतम्यता के लिए संसार के अप- गाजल डाल दिया। गज्ञाराम में भूल कर भी पाद का मयाल करना ममझदारी का काम है?" कभी किसी का भला नहीं किया। उसके भाकर सक "प्रत्येक देश के कुछ सामाजिक नियम दोतं उससे परंशान थे। उसके साथ मी पट कमी महा. है। उन नियमों की रक्षा करतं दुप मा स्यसम्पता नुभूति नहीं दिगाता था। एसीटिए पास उसकी मिले पदी उस देश के लिए उत्रए म्यतन्यता।" बीमारी में सी आन फोदाम पर काम करने पाला "पर जिन नियमों में मनुष्य के मानसिक माय? कोई नहीं दिग्गाई ता । उसकं लिप.निसी रदय पा. उसकी प्रारनिक प्रायश्यनापी का, प्यान में सपी हमदर्दो की ज़रा सी गन्ध भी महोती. ए. मही सया माता क्या ये नियम कमी मान्य दो मदन है-जिसने अपनी जान की अगभी परपा सकते ६" न करकं गजाराम की मंया में कोई बात महा दटा "समाजशास्त्र पढ़ा गहन शारत्र । उसमें युक्ति रबी शकर के पाम पदी जाता।दपा पही का प्राधान्य दी ६, मापात महो । उस देश के नपा- पिलाता है। ताऊन की बड़ी भयर गिटियो पर सियों के स्यमाप, उनके धार्मिफ. संस्कार पार उनकी दया का लेप भी यदी तुद करता है।गत या भतिक प्रयस्था का भी गयास रचना पड़ता।" कि मृत्यु का ज़रा भी मय मकर. उसने गमागम "तो मेरी दृष्टि में पा. ममाजशास्त्र पहुत ही की मेया का मदामत अपने ऊपर रियासमुनीति मार्ग पर उसकी 'मनुष्य का समाजशा'न के हादस का कार्य पाध्यता मदनही है। कारकर किसी जाति कासमाजशाखकहना थादिए।" फे मसन ने कल गिटिपों में शिगा दिया "समामशाग्य का प्रदीबत में मनुष्यों का शिगाफ. के. ममप भी मदन उम्पिन । द्वारा पं.मना करने पर भी-इन पानी पीमागी "मुम पर पहील. मा । तुमको दराना का भय दिगाने पर भी प्रापपादी मदन में मामान महा। पर जर तुम एल-माम्टर पंतप राजाराम की गिपटियों में माटम यानं मपादा नामदन पाए मुमने का चार मुझमेदार मानो धी।" पर कार साफ किया । मुनीति मदन म __"मुनीले, तुममे हार मानने में दी में अपना परिचर्या-भाषीस पर मन ही मन पर सामाग्प मानताघोफितुम "ktter lllll" सापांद ने सगी राजाराम परप्टोर पदप भी दो या दोन पाटी हो । पर पद मामला पड़ा रंदा मदनी मंपारिपट गत मदन मम्या है। मनिप मुझ पनी बिगर मम्मति देनी मंगाने गमागम मेम्पा मनुष्कामी पंगणा पड़ी। मारी। की दीवामन मिराराम केसी समूह की बढ़त में मनुष्याकमाई मन ने कामन ही है। ANATH मदीं। परो । तुमको मने कर धार मुझमे हाती राजाराम की मात्रापपादी मदन गागिटे मना क भी मदन या PM ममने का रास्ट-माम राना