पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/४६४

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  • * * इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें ***

मालविनोद । लिमी गई है। इसमें एक प्रसिर पकील की सलाह से अदालत के सैको काम-काज के कामों के ममूने . प्रथम भाग)द्वितीय भागातीय माग रापे गये इसकी भाषा भी पदी रफ्मीईओ वाचा भाग पासषौ भाग - ये पुस्तके प्रदालत में लिमी पढ़ी जाती है। इसकी सदायवा के सरक्रियों के लिए प्रारम्भ से शिक्षा शुरु से लोग प्रदालत जरूरी कामो को मागरी में बड़ी करने के लिए अत्यन्त उपयोगी है । इसमें से पहले सुगमता से कर सकते हैं। कीमत । तीन भागों में एक पार भी विशेषता है कि रंगीन- इसवीरें भी दी गई है। इन पांचों भागों में सदुप- कादम्बरी। पापूर्व प्रमेक पितायें भी है। धंगाल की टैक्स ___यद कपिवर पाणमा के सर्वोत्तम संस्का . कमेटी मे इनमें से पहले तीनों भागों को अपने उपन्यास का प्रत्युत्तम दिम्मी-पनुयाद,प्रसिय हिन्दी. फलों में नारी कर दिया है। लेखक स्वर्गवासी पात् गदाधरसिंह धर्मा मे किया . . . उपदेश-कुसुम । ६ । कया तो सोशम प्रसिय है . पन्त पाद गुलिमा के शाठये वाब का हिन्दी भाषा मी पदी शुस, मधुर पर सरस है। इसको अनुवाद है। यह पढ़ने लायक पार शिक्षा- सर्पधा पठन-पोम्य समझ कर कन्टकता की पुलि. पापक है। मूल्य पर्सिटी मे पफ.५० लास कोर्स में सम्मिलित कर लिया। यह पपन्यास हिन्दी-प्रेमियों के बने . . मुमल्लिम नागरी । पाग्य है । दाम), संक्षिप्त संसत में बामनेयासे को भागरी सीयमे के लिए से पास समझिए । इसमें उदार नागरी दोनो पाकप्रकाश जपी गई है। इससे पड़ी जम्दी मागरी पदमा इसमें रोटी, दाल, कढ़ी, माजी, पकादी, पयसा, सिनमा पा जाता है । मूल्य) घटनी, अपार, मुपा, पूरी, कपारी, मिठाई, मास. पुपा, प्रादि क्षेपनाने की रीति लिखी गई।यह --: भापा-पत्र-बोध । पुस्तक रिमपी के बड़े काम की है। मृत्य पा पुमा पालको पार सियों के उप. पाणी महा ममी के काम की है। इसमें दिन्दी में जल-चिकित्सा-( सचिन) पाण्यवहार करने की पतिया पदी अधम रीति (राr-पति मारिमसाग बिगी) से सिमी गई है। इस रियाप को पा कर रे पोटे पालक भी पप्पी दरद पप्र-यषदार करना समें, पर ने के मियान्तानुमाय, सीय जाते है । मृत्य मल से ही मप रोगी की चिकित्सा का पर्यन रिश गया है। मूस व्यवहार-पन्न-दर्पण। अर्थशास्त्र-प्रवेशिका । राम-बाय के दस्तावेज़ पौर पदासती कालो हासेमार। महिमान के मस सियास्तों से समझने के पा पुलक कासी-मागरी प्रचारिणे सभा लिए इस पुनकोर परमा पादिए । जर पायुमार सा समा एक समान माप कीमित, हे काम की पुर। मूस ।। दुलक मिटने का पता-मैनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग। ' - - .- - - - - -- -