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। संस्पा १] पाटन के जैन पुस्तक-माण्डार । पूर-परिन भाण, र रिमपीपरिपपईहामग, हास्य- में ग्राम गाता या । पीये से प्राइमदापादी गाल पर सामपि प्रहसन और मितानीय म्पापोग-या मी पुस्तई बिदी गई। वार-सन पर विषमान पुमा कामिनर के राशा । कागज पर काली स्मादीमिरा हिंगल की पनी हुई परमविशेष (ई.स. १९५१-१२.३)के महामात्य कपि वा स्माही से भी खेपा लिने ये । सोने और चांदी की पासराय की बनाई दुई । . सभी स्पाही से मिपी हुई बहुत पुम्ल्फें मिलती । बिभुबनमत सोमेश्वर का बनाया हुमा भमिबपितार्थ- का कापसूत्र पर्युपों के त्योहारों पर हर मगर पांचा मRI । चिन्तामणि माम का एक प्रम्प है। ग्समें .. अध्याय। सी प्रति प्रायः ऐसी ही स्पादी मे सिगरी } यह प्रमी नहीं सम्पूर्ण महीं मिला। इसकी एक वापी मिमी। इस स्पाही से मिलने में बड़ी मिहनत पड़ती । मदरास की पोरिटम पप्रेरी में है। दूसरी यहां पर है। मष्णे से महा वेग मी मुरारिम से दिन भर में । मिमी है। यद्यपि यी की प्रति भी अपर्णही, परत .- सोक पिस समा। सोने-चांदी की म्याही । मदरास की कापी से पर्दा की कापी में कम माग पपिक में पूर्व पहुव परता ..ोक सिगने में कम से कम श्रम मन्त्री बस्तुपाबा माया हमार-मारापमान २५-३० सपे की मागत प्रगती है। ऐसी पुस्तके पर काप्प भी प्रखम्पा सुभदा-परिगपन रंग पर इसकी मूल्य पार दर्शनीय देती है। इन पर पेव-पूरे चार चित्र. । पबना सी भी एक मसि पी । टिम्प कारी मी राती है। सपेव कागज पर मुमाले अपर म्तने । पाप पर पोयम की नीति-मिर्षय नामक रीका परचे महीं पगते तिमे सीन कागल पर सगते। इस __मी कुप पन्ने पर्दा विद्यमान है। मिए पाले मगल साम-पीने रस में मोग रंगते थे। फिर इस पर सियते। ऐमा करने से पपरों की समझ काग़ज़ पर लिखी हुई पुस्तकें । पर माती थी। गई कोई पुमको अधिकार मितनी पुरानी गुम्स-तापत्र पर मिलती हतनी पड़ी भी नहीं जा सकती। ऐसी पुस्तके १..-.. कागज पर न मिपतीं। समाज पर काम तमही दर की पुरानी होने पर भी काबीनदी पाती। मीमा ., समता । हमारे देखने में जितने भागा पाये ग्नमें सप से ज्यों की त्यों रहती है। ____पुरामा संवत् १ को मिल हुमा । रसके पूर्व का पोको पह सुन का पापर्य रेग्न कि जिस ईमा ।इप मेमो का कपन किहिमुस्तान में कमाम तरा पुष्प पुरव हिग्या मते पे सी तार मिपा भी पुराने वीरवी सदी में प्रक्षित मारे । पस्मत इम इससे सहमत समाने में मिया मठी थीं। पोप माने की विपर्या पर मही राम कुमारपाप (समन् ११-१२३.) के समय काम रवी मी पेपी कितनी ही विसिप प्रम्प में पापमोम्बिय का गोल मिलता है। कागज की मेरे देखने में पापे ६ मिनी सेपरमा पत पारे मापुतार-पनी मायके पराएने के कारण पुराने की। मेरे पास एक पेय सा प पिपोर प्रमाने में नागवार-पत्र पर ही मिपमा अधिक पसप राना के दीवान की पुत्री कामिक्षा माया परतर. मते थे। पन्नात तापी प्रत प्रपिक पुमा गरे प्राचार्य बिनासरि शिष्य पाप्पाप कम- तार-पन पर मिपी जाती थी। बस याद, रिमी भारत संपम गति को (मम् .--.में) मी पिया मे, साइपों का मापार से माना पर दो गया । गया था । प्रपपराका साप मारपं. सरागारहित का अधिक प्रचार मासंग सना। से 1५.. पर पनों में मानो पुस्मार-पों में सार-पत्रों की सरदमागम पर बिदए प्रमों मी प्रगत पर मस्मरी गई अंग-भागों में पति का रपा की जानीरमा प्रगत परम पु-पुष कौशाली माना तो परिग इसी समय नि में रसद बानी पेरिये ww मा म पहिलो ६ मिशन पई पारमी मग मम मानने और मापनप शि में