पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३९६

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' संख्या ४] हिन्दी का काम कान संमाटेगा। २३७ · पर फुट-माल के पेल में टॉग प्रहाने का दम भरने उनके दिल की जलन का परिचय दे रहा था। पर पास को 'फाउल ! फाउल !'चिल्लाते ही ममता था। उनकी यह हिम्मत म पड़ी कि प्रोफेसर से कह कि ___ मिस्टर महाशय के फैशन के विषय में भी इजर ! इन काग़मों के गोलों ने पास मेरे सारे कर कालेज में कुछ कम षर्या मदुपा करती थी, पोंकि कढ़ाये वाली की मिट्टी पलीद फर दी है। मतलय हैट तो इनके सूखे चेहरे के साथ खास तौर से यह कि विद्यार्थि-जीवन में पैसा दी सुप उठाते "साधारमा भूषणम्प्यमाया" रखती थी-स उठाते पाप पी० ए० पास हो गये पार मेहमाल तरह से मिट्टी का दीया अपनी दीपट के साथ में पड़ कर कानून पढ़ने लगे। रम्पता है । पिलायत के मने हुए भट्ठारह पाने वाले मफटर जिस दिन पाज़ार में प्रापे उसी दिन हमारे मां-बाप का .वून यूस कर "फैशनेविल" बाबू साहय उनमें से एक सरोद साये पार पत को यमने वाले बाबू काशलकिशोर जब पहली ही भार इसी सोच में देम र कि सपेरे इस रोपदार कानूम की प्रथम परीक्षा में एलके तब उनके पिता मफल्टर का लार्गों परं क्या असर पड़ेगा। कहने की मे साफ़ साफ कह दिया कि मेरे पास पर अधिक जरुरत नहीं, दूसरे रोज उसे सगा कर पापने सारे घन नहीं। पढ़-लिख कर होशियार हो गया। मदरसे में अपने फैशन की पाक पार भी जमा अपने फमा पार सा। तेरी रानी माये मो कर। दी। सम्पत्ति-शाल की मास में प्रमी प्रोफेसर में प्रम तुझे पचास साठ रुपये महीना महों दे साहय मदों पाये थे कि ठाली बैठे हुए सड़को में सकता। जैसे पार लड़के पी. ए. पास करके से पक देहाती उस लड़के मे इनके मफलर को कानून पढ़ते हुए मी नोकरी करके अपनी गुजर सस्य फरफे कहा-या कहते हैं कि- करते है से तू भी अपने फैशन के सूर्य के लिए मफसर गले लगाया वतापो तो क्या प्रम! कुछ ग क्यों महीं निकालता ! क्या मैंने सुमे इस एक सार क्यों म पांच मी, पाती है मा जादा! लिए पढ़ाया है कि जनम मर घर पर पेठा पैठा यह मुम कर प्रापने उसे मैंगरेजी में (क्योंकि पापड़ बेला करे ! पाप मक्सर मैंगरेजी हो में पातचीत किया करते प्रष वा सादव सोखने मगे कि क्या करूं? पे) .पूर्व फटकार पताई। मापने कहा--"माज में पीर नोकरी ! मुझमे किसी की नौकरी म दोगी। मैं प्रिन्सिपल से मुम्हारी रिपोर्ट करके इस गुस्ताली प्रगर में पाई तो पास मुझे डिप्टी कलेकी, तह- का मझा पगाऊँगा, तुम लोग मले प्रादमियों में सीलदारी, पापकारी की इन्सपेकरी, पुलिस की पैठने लायक महीं। अधिक क्या कई-तुम सोग रिटी सुपरिटेगोष्टी मिल सकती है । मगर में पार. मले प्रादमी महो-" मौकरी ! ये दोनों समानान्तर रेखायें, जो कभी पात पूरी न होने पाई यो कि काग़ों को मार- आपस में नहीं मिल सकती । मता विकारत ही मार फर पनाये हुए गोले म जानें कहां कहां से कांगा। लाहापाद में ही पिकालत करने में शान एमके नरे सिर पर तदाता पड़ने लगे। मेह एक रहेगी । मरे यही जा पहुंचने में एक ही मान ऐनी माप दी मिनट परसने पाया था कि प्रोफेसर होगी जो मुझे कुरा पटानी है। यह यह कि मेरी साहब कमा साने से पकदम शामित हो गई। पसह से कर मामी नामी पीलो की पामदनी .गुस्से के मारे हमारे पीर मार साहय पर बुरा पान पट जायगी । पर इसके लिए पिफ मे पाम पा। उसका फला दुमा माल साल पारा अधिक यह हो मम्मा है कि मैं उसके मम्मुख शाक