पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/२९५

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१७० ', सरस्पती! . . . [ भाग श्रीस्वामी चम्पानायजी श्रीमचिदानन्द की शरण में हर्ट स्पेन्सर की अज्ञेय-मीमांसा । सिधार गये हैं। मनन ६.म्यामांसी का एक समाधि-मयमाले- एयर में भार गम म्मारक मन्दिर गजधानी जम्न में १-ज्ञान का अन्योन्याश्रय : भी धीमानहागमाधिराज अकादमीर की प्रामा (Thr Rolativity to all Kroker! में बनाया जायगा। मानिफनाय योगविशारद। Tymगत में मिशन यो पनि ज गये मभी पाया int Za संसार में जितनी बगिta ६ उमश प्राधार r n . प्रेम।

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