पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/२१६

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संख्या २] विविध विषय। पर दिई हुए गरे र सो बम पैठ र माने पामे करना कैसा ! इमारी तुप पुदि मैं तो इस राम से हिन्दी में ईमा-मामा भैरवी पुन में पाई । इसके अनन्तर म भों का बार नहीं होता । बार में पागाय नाटक "ये मातरम" गाया । फिर मारी, पाली, चम्पा-एमी, से सम्पन्न रमनेसामा मीनाटक समान एक दूसरे विदाग, बाप भादि कई राम भार रागिनिर्या गाई। व्यापार से सम्पन्य रहता है। मापके गानो में अंगरेजोपन पिपलम पा । ऐसा ऐसा ज्ञात होता मारमें प्रचार पामे पा प्रचीत दोष या किसम्म में मात ग्तर भाता है। इनके साथ ही अभिनय कामे गतसिपो से मिपा पता पारमीरी गीत परेदी प्यारे थे। किस प्रकार माता अपने पा। नाटक काठ की पुतलियोराही प्रमिनीत होते पप्पे कोरीत गा गा कर जाती है, पाइन्होंने प्रफी र सास-सारिख पुराने प्रन्या में उपसमियो का बर्वच गामापा । प्रमेक गान के बाद सामिपों की लमि से भी पान स्पानी में मिषता। भीमयमागवत में भी इसका समारता था। कई गीत दो बार गान परे । ममाय है। मसलियों के प्रमिमप में सबसे प्रधान दूसरे दिन सम्दन समाचार-पयों में भारसीप सात वस्तु "स" होता है, या बनाने की प्रापरयन्सा नहीं। मीनी प्रासा पीहमारी सम्पता का पादशं इम पेग पूर्व-काल में जिस ममुम्म केप में इन पुतमियों का के निवासियों को दिपाश्रीमती रतनरंबीबी म हमारा सत्र"राता होगा वही "सत्रमार" कराना होगा, क्योंकि पहा पर किपा । इसी प्रकार पदि भार मेग मा मममी प-मम्चामम ही इसमें विरोप पीर मान की बात। म से मारी बसम्पता का भाव विसापत बादो को पीरे धीरे अपुतक्षिो का स्थान ममुप्पो में प्राण र विपा दिसला तो इनके यो मेरमारे देश की स्थिति पर होगा। इस कारण प्रमिमय की पहली रीति का मान होगा। जगनार सम्मा, बी.एस-सी. शद सबपार-म दूसरी रीति में भी भा गया देगा, (इम्मीरिया मेज माफ सायंस, सम्बन) अपवास करने से पा समय सता होगा कि, जिप्स ३-समधार का अर्थ। प्रकार पुतसिपी के प्रमिकब में सूधपार प्रधान होता सी संसह भार में, और सम अनुकरर में बने हुए प्रकार मनुप्यामिमय में भी इसका वह प्रधान का देता है। हिन्दी सपा सरी मापा मार में मी "सूत्रधार" का होना तो प्रकाप ही स्वीकार करना पड़ेगा कि यह मश परसे पारेमापा जाता। यह प्रसिकात इस शाद कठपुतमिमी "सूत्रधार" के प्रमुमय पर उन बिएप में बमोपिक कानेकी पावश्यकता नहीं। हम हमें मप्रमाण होने से प्रपाता है। मगवान् संवा 'सूरपारदम पर पाठ का प्यार पापित प्रसप्रभार" कोनाते हैं। मामी ग्मी पर्प की पुष्टि मनाचावे प्रसिदकोण "यम्बकापाम" करता जिस प्रकार उसी का पाहमा-मिमा "सून- में इस प्रर्य में कोई मिग्रेप पात नहीं बताई गई । सापा पार" हाप में होतासी प्रकार मनुलो पा सगर के रएकाइमा प्रमोग मारक अपान कार्य में पता कार्य धराप में विशेषज्ञ पाठक इस पर विचार है।मर मिनिमम बोम्स में संस्कार के अंगोको- करने की यम कपा में। अनुसार में सूत्रमार InInter" किया। किन्तु भीगीरधर गोसामी। राजाप इसा या काता में ऐसी कोई पनि वहीं जिससे उसका यह मे निवता हो यो किया जाता ____-हिन्दी की पर-मापा पनाने के लिए एक . पातो "स्मार" प्रपांश "धून' पपा काता महाराट्रीय विद्वान् की सम्मति । उसका अपेपया यश-स-बोर .पेसा होमीपुत प्रोफसर गोविन्द चिमबाबी माये, एम.ए., पारो ममता, क्योकि "सभाको गति मिती मराये मापा के प्रसिद्ध मेला मराठी मासिक मने- ईप पज्ञोपवीत धाय मती पानी. इस पर जम में भाप प्रबामविपाषा मिला करते विकार सम्ता है। नाक में और सा "सूत्र" हो. भापप-"माम्य अटके पर प्राप्त' पीपंक एकच सवा! "सूत्र" से प्रमिप्राव हो तो इसका भरण कई महीनो से ग्समें विकास के गत दिसम्बर