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सरस्वती। . [ मांग (२) मिन्सीपल्स प्राफ क्यालोनी (Principles धन पार जीयन पर रामा का पूर्ण अधियर of liology) अर्थात् जीय-पिया। कुछ फाल पीछे इस पिचार में परिवर्तन हुमा। (३) प्रिमीपल्स पोफ साकिलोमी (Princi. लोगों ने राजा को ईयर प्रयया देयता मानना ना ples of Peychologs) अर्थात् मनायिभान । डाइ दिया, परन्तु उसके प्रधिकार देयतामों से ने | (४)प्रिन्सीपल्स पीफ़ सोशियालोदी Principler रहे। लोग पद मानने लगे कि राजा किसी देवया । 'of Sociologs) प्रर्यात् समाज-शारत्र । फा प्रेश प्रपश्य है। कालान्तर में रस पिचार में भी । परिवर्तन दुमा । तब म राजा पर रहा। (५) प्रिन्सीपल्स प्रीफ यापपस (Principles of ireapler or देयांश । पर उसके अधिकार ईयर या देयता: Ethics) पर्याम् प्राचारदात्र। अधिकारी के सहश दीपने रहे। मयाल यह हुमार - इन प्रन्यो में से पहले प्रन्य की समालोचमा ईश्वर या किसी पराश ही मे राजा को ये भी करना पार संक्षेप में उस सिदान्त लिपना, इस कार दिये है। प्रतपय स्ोग रामा फो पिरा ऐन का उदेश है। यह प्रन्य दो भागों में विभक प्रतिनिधि कहते पार उसके शासनाधिकार र है। पहले भाग का नाम “पमेय" (Tho के दिये हुए मानते । विवा, शिक्षा मार सम्पना Unknowable) है, पार दूसरे का “ऐय" (The पढ़ने से इस पिचार में भी परिवर्तन हो गया। Knorable) अर्थात् पहले भाग का पिपय ये राजा फेपल पया, दाक्षिण्य, पान मादि गुणों का पीज ६ मा कयापि जानी नहीं जा सकती पीर मादर्श पुरपदी माना जाने लगा। राज-भकिपा दसरे भाग का येजा जानी जा सकती है। प्रस, पर्थ भी पयरने लगा। पहले राममति फा भर्प ता, अय पहले माग में सिमान्त मुनिए- राजा की मात्रा का पालन करना था । पर्म-अधर्म (१)धर्म यौर विज्ञान (Reliciounna Srivner) के पियार की कोई भाषश्यकता मथी । पम पर अर्थ दाने लगा कि प्रमा राजा के अधीन रहती है। दोन्सर का फयन किमसार में कोई पेसी इस कारण प्रजा को धादिए कि रामा के सम्मान पस्त प्रपया धात महा ६ जिसमे सत्य का कुछ पद पर चादर आनिपम घरो माये उनके मन- मापसत्य से प्रसस्य बात में भी मस्प का कुछ सार प्यार करे। प्रेश प्रयदय रहता है। मनुष्य फी (सका दमेशा अपगलेट मेगमा लोग गदीमे तारे जाम ध्यान गमा चाहिए। ऐसी भनेक पाते है जो पर उनकी अगददमरे मनुष्य पिठाये जाते मगेकर सर्यपाठ मारदम दानी ६, परन्तु सपम हरि से पदयाल पैदा हमाशिरामा केही प्रमियर ' देखने पर उममें भी समय का कुछ न कुछ पंश पापा प्रजा मे ही प्राप्त हुए ६ प्रशा के प्णनगर जाता है। उदाहरण लीमिए- पसना दी गजामा पर्नप्पा व रामा पल ___ मातीन गिदामा पार पामों में मात दाता सम्मान पार पादर का पान रद गया । राप्रप. पहले स्टोग गनाको पर प्रथा अपना सम्पम्पी उस अधिार मा गरें । गम्य- गमझने । उसपर पर, उमसी यदि पार उसके शासन-सम्पन्धी वर्ग में प्रना के प्रतिलिपि दी अधिगर दीर मामले थे। पतामों के अधिशर-ममम मममें सामे मां समय पाकरण समान दी गमी पूजा पार नुनि फर पिचार में भी परिगर्तन होने पगा। पदी गम्य- पास की सोग दय से मामने प्रज्ञा प्रपठी मममा माने एगा जिसमें मनुष्याकी