. . . . . सास्पती। मिय देश में भी यफीली की जरूरत रहती यहां करें या म । इस प्रकार अपने पहा यिया..पसो-स्थाग. प्रधिकार प्रादि प्रमों पर हो या म कहाना हुंभा पहा .. प्रत्येक मुसलमान कमलाम-धर्म के नियमानुमार उसमेही प्रानो पान पर पटना पड़ता है सदागे मुकदमे स्याम प्रदा- करता था। मनी में महात। समास मीमांसा पर धर्म ग्राम में सभी पादपयादी. माग्न पहाग जाते है । प्राज कर प्रल-मजहर की प्रचलित है।पर, मागत में इस पर पैमी प्रयस्था है। पर यिय में उसी यिर है। शायद दी कुल पिवान मां पार." उसनिमकी मेहरा की जा रही है कि पही करतोस प्रमाय या प्रय मगारा' मी म्फर पार कालेज म ग पर गर्म जाय । या जाम पढ़ता मारत पालाश गांडा पीन राह कर उनी विभापनि कठिन है। उमनेर पारिमा में शाम उन्ममि होगी । पक्षी अधिकतर मंगरंत मिया मरो की ममम में मतिम 2. पार पर प्रागर पार मध्यापागोग यहां मनु । मीचं दम नाम कमायमानी प्रषिधामियो मे मिन्न पर शिम तरह काम करतं उदाहरम देगे। पद महामनीयर पर पह दिन शाम पाये मान मोशिए शि. पाद-पिपार पर सप मित्र शिक्षा में अनार कर अपनी में पपका या सिर परमानाबाना मामीन गमगता का गाग्य प्रास करे। कमी कभी पुण्यदायर देतासमेत पयुमास पुप्रामान पारी पूण-"ए. पांग पुण्या-मर मुम मानते या मही": उम पर न्यायशास्त्र का महत्त्व ।। पर उमन मट पारने गाने गाने पर उदाहगा तया । उदारतपर गाने Shundr मी ममप मामय में यादर्भयपाद पीर पगलिया टिपाटन मी २६ या माना नाता मनरप कभी कमी र एका म्यामापा जन्मामी पाद. पुण्यात ग्राम + परेला गार दOTEE गिर पार जापाका पार पाने सामाधार बापियाद में ए | m.पी पीर पर पगा का अनुगात पण या मोरीm पदमा गया रस में पाया पट पुस्ली पर शाम गरि में गयामाग्मगार पुगर्म पापी मे-frगी त में भी ए ! from mपर, माग्न सामगं गगापात भी की artmi प्रामी, मला मनापा " पर पाया मगर मानसायमी नही गरपद पर समानी र नाति पर Re im Pre ETमां TEA TAR. पदमाराम मेगावाम गुना तक मार मीमा भी timtheem ] गरेपम पर ममा fert. मा irror
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