- सरस्पती। पहात मा पर अपपा पर पिदमत करने से हुम्मी है। पर इसलाम-धर्म की सबसे जो भर परित यस पुसी मोत र मौसर है। पांत उसमें एक विशेषता भी है। पाये को तो पिर मरे को पिर नहीं। पर दुमका में जैसी शिक्षा प्रणाली मनियम मिमपाको इलाम रोग दुस स्पा को सम भाप रहने में हमें पलनाजहर में पध भी देखने प्यार ज्यों पर। पदी जो प्यार 4 मरीर में पार पास फल मसलमान की अमीमामा पर मे-अप, तेच पापु. पप्पी । सो मनि पारम्पा - कर की मी कह मतालिम बीबरोबर पाने में मेर । भा इन एम्स में में पार इस बीसौं शतानी भादमी मिरोग रहते हैं। पपा मापारियों में प्रतीरे पोगमकान पर तो महति का प्यार पनि गराई अन्तर है उतना ही इस समय मिया रागपा मिया अनिता इसलामी देशो मे पार पढेमान पता मोप भरी में संभाष पटम को माम मारामयपपि इससाम-धर्म का उत्थान free रोगीपन पते परम्पोपा बसपी पपन ६०० पर पाद मुभा पार उस जगह मभाव यो दमा काममा बसा प्रग की हपाते पानी तथा मिश्चियम पा से सिरे पर विपिपा पा स्कीम और मौतमी गमिमन भाय फस पह सम्पता में किदिवस मारने पामे, पर समान मानपारले समसा मदी कर सकता। उसने इन दि रेघगत-गौर में पुमिपा दुगा दूर पद फर उप्रति नहीं कर पाई मागास , पर दुनिया भीती गती। मा सिमानती मध्यमास में थी। । परम पानी मई। मामा पूराना पार्य में प्रम-मजहर जमा खीये । हम बाम्ने बानमोरी कारोब पी मोहरेड पो जिसमें शिप-विपासा मी पापियार ने मार भाप पारे काम करे जहि मी में पहले जिस तरह गिरजायंगे में विपातन भारदो पे-मिगहें कंपाइस-माल पीना यह भी समयमा निर्मात्र :- मियदेश का अल-धज़हर नामक में माथामिन्नु भूकम्प में मारा विश्वविद्यालय । गया। पर फिर मे माया गया मियदेव की प्राचीन गपनीर्मापांना पुन ०५० माटगोमेसी मे कादिग मही । गम.पिपपमान सन १९८२ (ग) मार मे मिना के शिया गया। "प्रार"-पिपपिपानय पिपापा मगमा H E पर पामेप निगा पेमसिनः मापोरवालाम में पर पीना शिपिपानय में मेरा पर गम्भ मे यार ! पा। रात मामा परामिपिन में उसे मारामानामा पर पाप किया मीथे गणी माता पा र .. ! मम्मी खाना। से कम महो। GRATime शिपिपासपी में मा .in सौगात मे मापनि पिपारप भी मामेभा और-पाय पापमपाल
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