पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/१७३

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सरस्थती। द्रौपदी मी होगी किम और प्रभार दिन तो नहीं गमप हा पर नियाml दुनन्दनापन हारमीच वेरापीर। मिनी कामकोया भी मिमा पर श्रीकृष्ण साप पर पीर । गोदरेमातु मेरी इप-पीर गभीर प८॥ पए मात्र में देश मोवामी मंच देग दिवसपी सममि माबामाह। भप तो तमी राम्पमतमुख से माना पाम तो मेरे मरा गई मदी का। परवान पप मा मीमी समभार गतान इमरी मताभहास, इसके बाद में मचा मान पता स्पं मस्तान रोरी मूग से राय ata निदिया पती तर-मोर योगी में "gm" पुत। पम्प ! निता-मनबरों मुमाये माप! नंगी से नित्र पेटुपोषि -म्य पार। क्या नसमाती पकार मी "मिरन"पाप। रिस पीर मा अनुराग अपिरत मान में जान पसिनी शियिश नमी दोन नाप निमपामा प्रेम दुमा सजिम से प्रारमी साm गगता सारा निरगिस याम पपों माही तेरे एपका देवि मिला गुग! पर मारियों में गातो पुपमपम गरे।। और पों पिसते नहीं तो मोरप-यूख, तर-या भी मुशिम प धापतिका निपानी गौ पम इसी में जो रम्य निज बम भूख। अमितापाप पुकारपिाकी Pati सर दुर्गा की मृग बस या भपतर मू m मानी परिममा प्रतिपने जी सिम। बनि! म दुम्मदर्द में रे मेते माग , शासपन काममा मुण भार! तनिक भी करतं न तो पर्ष भामयाग। किन्तु पाता गुपमहानाnair गुम पुकीविमन तेरी महकी भी भाग, पाये पिमा प्रितम मना भगना रिमा पूर्ण मत्रा निदेशहित पाग॥३॥ पोरान, पोलिमान, Amrat रमि तुझे देने पर पूर्व मा शरीर। माराम दिम पाप बिना मुमरियमी मारमा चे पाते भिर-मदहोमिए गम्भीर। पर निम्सर पोम पोर पर ये - पितरे लिए माना भाम दम भार , माना समीर तिमिर पर मोर मन माने । विपदा मार भीगार - सहभान पार गगानगर नगरे । करोदमा प्रति दिन रेपि मामा पाप, मारी प्रपिणती । मा मापन भी पानाNI मेली कमnt, सगारपीवरार प्रसार प्रताप महानगर पारेपstant पु दिन दिमाम पुरा गाते मपुर अपनी भाग- पिम प्रयाप, प्रपा-

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मरमर, मम हमारे me मार मसा मसी- मा, tinमने मागर : माना मुमी मा मेलमि स्मितामा मित्र मान- गोगावमा प्री पार पाया प्रिया प्राबिमिराnिi सन्ध्या । गाने imanthan बोले रिमनmaatru परिमr athi -- भास- म समीप मालिमा भिराम। and eme म म