पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/१६३

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सरस्थती। कर भगवान् पर चतुर्थ प्रयतार मानते हैं यैसे ही पीर मेम्फिस (JHampllis) के सा मनुष्यों में मरमसिंग भी इयस्तु (Icellu) का अघतार माने हियों में से प्रस्सी पार्यो की वोपड़ियों की न साते है। मिध में सिकों के माम मी प्रायः पर्स मित्र के समाज-सठन में भी भारसयर्प के भारतवर्ष में है-जैसे दीनार, माशा इत्यादि। सामाजिक नियमो की छाया पाई जाती है। यहां मोलाय, शिप, मेस इत्यादि माम प्रजम भी जाति-भेद या । हायारोरस (Dirlorus) के की सम्पता का प्राविम स्थान भारत काम मतानुसार यहाँ मी तीन जातियाँ मुप्य यो। लिप यर्तमान है। राज्य शासन में मेनेस (Mener) के यनाये हुए अजीर, मारकी, शनालू. चावल पर। नियमो का पालम होता था । संसार भर में यह ही तरकारियां तथा मेये मिध में भारत माम यित्यात है। मिम में मैनेस (Jenes), प्ररथ लाये गये। ऐथेनियस (Atrenaea-) पार । में मप (Math), पिथीनिया (Istthynia) में मानी (Pliny) का ऐसा ही मनुमान है। . . हीडिया में मेम्स मीट में मानस (Hiny), पयेम्स गौद पार तरह सरद की भारतीय पोपरिया । में मेन्स, द रिया ( Etrurin) में मान्तुस या मनुस एशिया मामर, राम पार ग्रीस में भी पाने (Aamua ar Manus), अर्मनी में मग्नुस, टेन्मार्क है। प्रन्धकारी में उनकी सूची भी दी है।' में मन्त्री पार पाइसलैट में माना । ये सय हमारे प्राचीन मिभ में भारतीय सभ्यता के प्रार भारतयर्प के प्रसिर मनुसी महाराज के विगरे महीं तो क्या है । मिस पर भी तितने ही उदापन दुप माम मालूम होते हैं। जैसे जैसे भारसयासी पश्चिमी यिठान इस यात को नहीं मानने। ए. अन्य देशो में पसते गये से ही पैसे मनुजी का ऐतिहासिक उदासीनता मे पम इतना सहसान माम भी विख्यात होता गया। फर दिया कि हम घुपचाप पठे सुमा पानी मिप्रवेश फी माग के शप भी अधिकतर कि भारतपर्व मपनी मिस की मम्मना मार संस्कृत-शयों ही की तरह ६।५६शमा का स्थाम मही। दे, पयर की कृपा मेरा प्रयाग तो दानी भाग में एक ही प्रर्थ में क्षेता है। उदासीनता का अन्त होता है। मिश्र के घिरणत परामिड्स या स्तुणाकार गामार मीनार दिमुस्तानी मन्दिरों ही कग पर पने गुए ह प्रायन साहय ने मिर किया है कि पायग्रह सुर्यवर्मा का शिलालेख । ' फेरापर या स्मम्भ, ओईसा फे १३०० पर्प पूर्व के पने गुप, पिटकुल हिन्दुस्तानी ढंग के हैं। ___मिध की समाधिर्या पाली जाने पर, आईमा के १५०० पर पंकी नी हुई है. यदुत मी भारतपर्य की पी मात हुई है। उनमें कुछ ऐसी भी एकड़ी की मिस्टी ६, मा मारत के दक्षिणी समुह सट को गा फर दूसरी जगह पदादी महो देती ___प्राचीन मिश्र-पत्मियों की स्टरिया, हमारे पूर्यम मा सागा दी की मी धीरज (This