पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/११६

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संध्या १] पुस्तफ-परिचय।

१५-योतिषशान। मातार मैम्पमा, पर-गया पाया कि इस पपअनुपायी दवा-दान को अपनी

१.., सचिन, साधारप हिन्दी मूबर ८ मा, ममफो और भूमिका की परिपारी के भी परिपोपा नहीं। मेगा-पायू दुर्गामसारतान, एम. ए., बी. एम. मी मी बातो तपा मरे पर सिदान्तो पार मानि-पान-सारिप-मनिमी समिति, .कारम ग्र, प्राचारोका गगन इस पुस्तक में लिया गया। इस मत बतागोती में जैमी मारित प्रारम । पैसी ही रे सा पास भीगमशीरिकी विश्वासोचना भी पा पुमा मोहै। इसमें मोतिर की मोरी मारी बातेड़ी गई।इसी का नाम मेरा: महराय मे रितशिपा EIN कर पाते समपई गई। मोदी सिरय पुस्ताात में शिकायतमाम का एक पपमपम्प गनि, मरा समय-मन मा परिमार, ना मगठन, भी।समें भी पदी नि पाते। रीमा, समे पिरोपता भादि सामरिम्पी में बन रहे मंगरमियों में भी पररर पिरोध-माप की रिकामपात 'माग में पु रो सर्गसापारपरोपा दमाने की पना । पुरना रिमी में है और प्रप्पी परी है। पपेट शी। ऐमी पुटकीपड़ी पावरपना। विज्ञान से सम्पाम्प शायों पर मी प्रेमी पुरतः नि. १५-कपि मम्मदाशमी साहित्यसेपा । भाषा सनी पालि गुमानी, भागार मध्यमा परगया ८२, पेपर-पोयपाय कहानदात परेस, मास्टर, म्यूमीसिपब सल, मानपुरा, १२-मारीरलालिका मार पोया रह-सल्या गरत-से प्राप्य । मुस्प माने । इस पुस्ता में गुमराती मूस्य (माने । यमप-परि-पिपासपरेप प्रसिर पिनम्मागरम चरित भर मी साहित्य- भीरपुरमेन शापी में इस पारी मी पुस्तक में शरीर के मेवा का वर्णन है। गुजराती भाषा की पचिर्षी साहित्य- प्रपो, माहिपा, भत्पिपा पार पानुभो प्रादि की तालिका परिपा मे इस पसग परमेलाको नाम दिया र ग्नमें से रिमी किमी मेपित रिप भी दिपा । मिम्प पड़ने वापर। । ।पापुर के विद्यार्थियों के लिए पर तालिका विशेष ग्पोगियी है। १६ रोजनामचा । रामपर, इमारस मिरी, की री. प. पारगी पर कम्पनी ने अपने रोगमामले १५-साप । पापुल पाग की विज्ञान-परिप (Diary) की एक कापी पेशी पर रोपमम्ममा ९ प्राप से प्रकाशित हुई है और समीरी सिरामे से सरी काममा मुम्पर है। पी विश्व पी है। मिबती । इसका पाकर मध्यम, सम्या ५४ श्रम पसिस रसने बिर मार बाग़ज़ स्मिारोपमा मुस्म। पाने से पणि प्रेमपातम जोगी, बी. एस.- - मया तो यारो, पार भी कितनी ही ऐसी बातें इसमें पी. बिल। इसमें प्यार । ममें गरमी गिनका मानना बहुत सस्ती है । मूल्प ५ माना। का प्रमाण, गरमी पार पाबी, गरमी गाना, गरमी क्या है-पादि विषयों का सचित्र विरेचन है। बड़ी पप्पी १७-शिष्परताकर । माघर ममेवा, पह-सफ्या पुस्वर दिग्दी में पेमी पुस्तमे की भी भापरपस्ता प १२ भारे, प्रसि-स्थान---ौडितकारी प्रापिस, है। ऐसा पुस्तकीमत अपनी मापा में भी हम सोग मारी। इसके पाये भाग में फेरो मेमे की तरकी सरे विज्ञान-विपपा स्प बात साहस में मांग सम्री। में सरिये के कर-पुरमा मादिमाम, तीसरे में पामिण, बानिश भावि के नुमने १५-तेरापंथी हितशिमा । पठ-सम्पा .., मूम्ब पिया। ये में कम सापामय प्रोप- ८ माने, रेखा, मुनिराश विचाविपी प्राप्ति-स्थाम, श्रीमोपियन-पन्यमामा माफिस, भावनगर । अमियों के १८-शिशु-शिक्षा । प्राकार पोय, प-सम्मा २, एक सम्प्रदाय का नाम है-तेरापन्थी । इस पुस्तक से मान मूरुप २ भागे । इस घाटी सी पुम्क में माता का प्यार,