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  • * * इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें * *

मपात मानस-कोश। है। प्रत्येक पढ़ी लिखी सो प्रथया कम्पा को याद महामारत मंगा कर अपश्य पढ़ना पार उससे खाम रठामा धादिए । मूल्य केयळ ३) रुपये। "रामचरितमानस के पटिन कठिन बन्दों का सरश पर्ष। ( परिव भीमसिमानाद-प्रति] हमने काशी की नागरी-प्रचारिणी समा के द्वारा सम्पादित करा कर यह "मानसकोश" मामक पुस्तक दयानन्ददिग्विजय । प्रकाशित की है। इस "मानसकोश" को सामने महाधम्प रखकर रामायण के अर्थ समझने में दियोमेमियों को हिन्दी-अनुवारसहित अब बड़ी सुगमता होगी। इसमें सत्तमता यह है कि एक एक शब्द के पक एक देदो महीं, कई कई जिसके देखने के लिए सदनों प्रार्य थर्मों से 'पर्यायवाचक शम्म ऐकर एनका अर्थ समझाया गया सत्कण्ठित हो रहे थे, जिसके रमास्यादन के लिए है। इसमें प्रकारादि कम से ६०४५ शम्य है । मूल्य सैकदी संस्थत विद्वान् छालायित हो रदं पे, केपटापया रपया गया, ओ पुस्तक की छागत जिसकी सरल. मधुर और रसीली कविता के लिए पार रपयोगिता के सामने कुछ भी नहीं है। अस सहनों प्रार्यो की पाणी घंचल हो रही थी पही ग्मंगाए। महाकाव्य उप कर तैयार हो गया। यह मन्य प्राय- समाज के लिए पढ़े गोरष की चीज़ है। इसे पार्यो सचिन हिन्दी महाभारत. का भूपण करें तो प्रत्युक्ति न होगी । स्यामीमी स्त प्रायों को पार कर मामक पाय-समाज में जितने (मुल पाण्यान) गोरे बड़े प्रम्प बने १ रन मयम इसका प्रासन ५०० से अधिक पृष्ठ' बड़ी सांची १९चित्र ऊँपा। प्रत्येक वैदिकधर्मानुराग्ने पार्य को याद 'प्रभुपाद-दिम्दी के प्रसिदोजप. महावीरप्रसादमी दिपेदी। प्रय लेकर अपने घर को पपश्य पवित्र करना महाभारत ही प्रार्या का प्रधाम प्रन्थ है, यही चाहिए। यह महाकाय्य २१प्सों में सम्पूर्णमा। मार्यों का सद्या इतिहास गौर यही सनातन धर्म मस प्रत्य के रायल पाठ पेजी सांची के ११५ पृष्ठ कर धीन है।इसी के प्रत्ययम से हिन्दुओं में धर्म हैं। इसके अतिरित ५७ पृष्ठों में भूमिका, प्रन्धकार माय, सरपुस्पार्थ और समयानुसार काम करने की का परिचय, विषयानुक्रमणिका, पापश्यक विवरण, माहि जाग्रत हो उठती है। यदि इस हे भारतवर्ष बुटिपूर्ति, यत्रालय प्रशस्ति पार सदायक-सची पर ५ सदघ पर्प पदले का सपा इतिहास मानना प्रादि अनेक विपर्या का समावेश किया गया है। हो. यदि भारतवर्ष में सियों को सुशिक्षित करकेत्तम सुमारी जिन्न धीरं इतनो भारी पारी पासिमत धर्म का पुनष्यार करना अमीष्ट हो. यदि का मध्य सर्पसापारप के मुमीते के लिए कंपट ५) बातम्यनारी मीष्मपितामह के पायम प्ररित को पार रुपये की राया। जन मगाइए । पढ़फर महापरक्षा का महत्त्य देखना दो, यदि भगपान फायदोपपदेशो से अपने प्रास्मा को सौभाग्यवती । पपिय पार पलिष्ठ पनामा दो, तो इस "महाभारत" पढ़ी लिपी सिपी का यह पुस्तक अपए पानी प्रम्प को मैगा कर प्रपश्य पदिए । इसकी माश मादिए। इसके पहमे से खियो यान पुरा उपदेश को सरल, पदो पोस्थिनी पार कड़ी मनोहारिथी पहर कर मानी। मूल्य पुस्तक मिलने पला-मेनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग ।