पृष्ठ:सरदार पूर्णसिंह अध्यापक के निबन्ध.djvu/६२

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सच्ची वीरता सोने दो मीठी मीठी नींद है अाती ।" अमर ईसा को भला दुनिया के विषय-विकार में गर्क लोग क्या जान सकते थे ? अगर चार चिड़ियाँ मिलकर मुझे फाँसी का हुक्म सुना दें और मैं उसे सुनकर रो दूं या डर जाऊँ तो मेरा गौरव चिड़ियों से भी कम हो जाय । जैसे चिड़ियाँ मुझे फाँसी देकर उड़ गईं वैसे ही बादशाह और बादशाहते अाज खाक में मिल गई हैं। सचमुच ही वह छोटा सा बाबा लोगों का सच्चा बाद- शाह है। चिड़ियों और जानवरों की कचहरियों के फैसलों से जो डरते या मरते हैं वे मनुष्य नहीं हो सकते । रानाजी ने जहर के प्याले से मोराबाई को डराना चाहा। मगर वाह री सचाई ! मीरा ने इस जहर को भी अमृत मानकर पी लिया । वह शेर और हाथी के सामने किये गये [ की गई। मगर वाह रे प्रेम ! मस्त हाथी और शेर ने देवी के चरणों की धूल को अपने मस्तक पर मला और अपना रास्ता लिया। इस वास्ते वीर पुरुष आगे नहीं, पीछे जाते हैं । अन्दर ध्यान करते हैं । मारते नहीं, मरते हैं। वह वीर क्या जो टीन के बर्तन की तरह झट गरम और झट ठंडा हो जाता है । सदियों नीचे आग जलती रहे तो भी शायद ही वोर गरम हो और हजारों वर्ष बर्फ उस पर जमती रहे तो भी क्या मजाल जो उसकी वाणी तक ठंडी हो । उसे खुद गरम और सर्द होने से क्या मतलब ? कारलायल को जो आजकल की सभ्यता पर गुस्सा आया तो दुनिया में एक नई शक्ति और एक नई जबान पैदा हुई । कारलायल अँगरेज जरूर है; पर उसकी बोली सबसे निराली है । उसके शब्द मानों आग की चिनगारियाँ हैं जो आदमी के दिलों में आग सी लगा देती हैं । सब कुछ बदल जाय मगर कारलायल की गरमी कभी कम न होगी ! यदि हजार वर्ष संसार में दुखड़े और दर्द रोये जायँ तो भी बुद्धि की शान्ति और दिल की ठंडक एक दर्जा भी इधर-उधर न होगी । यहाँ आकर फिजिक्स (Physics) के नियम रो देते हैं । हजारों ६२४