यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
पूर्णसिंह के पिता जैसे आध्यात्मिक प्रकृति के थे, इनकी माता भी वैसी ही धार्मिक और उदार स्वभाव की थीं। माता-पिता की इस प्रकृति का प्रभाव पुत्र पर पङा। माता की संरक्षता में रहकर इन्होंने रावलपिंडी के स्कूल में हाईस्कूल तक शिक्षा प्राप्त। फिर ये विशेष अध्ययन के उद्देश्य से पंजाब की तत्कालीन राजधानी लाहौर आ गये और यहां के एक कालेज में नाम लिखा कर १८ वर्ष की अवस्था में एम्० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। जापान पहुँचकर इनका प्रेम पूर्ण जीवन और भी अधिक गतिमान हो उठा, टोकियो में उस समय इन्डो-जापानी क्लव नाम की एक संस्था छ: