पृष्ठ:सरदार पूर्णसिंह अध्यापक के निबन्ध.djvu/२०

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निबन्धकार एवं कवि पूर्णसिंह और प्रम में गले से लिपट गये लेकिन साधु का क्रोध शान्त न हुआ और वह बड़बड़ाते रहे । पूर्णसिंह पश्चाताप में पागल होकर जमीन पर गिर पड़े और आँखा से आँसू बह चले । उसी समय आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी और पं० पद्मसिंह शर्मा इनसे मिलने के लिए वहाँ पहुँचे लेकिन जब शर्मा जी ने इनको उठाकर बैठाया कि प्राचार्य द्विवेदी जी आये हैं तब ये उनको पहचान सके और इनकी वेहोशी दूर हुई। पूर्णसिंह ने जो कुछ लिखा है वह भाव और रस की दृष्टि से सप्राण है और उनकी तह में चलनेवाले विचारों की दृष्टि से महत्वपूर्ण ! वे विचार भी ऐसे हैं जिनमें क्रान्ति की पूर्णसिंह का आग भी है और शान्ति का सन्देश भी। सबसे साहित्य अधिक इन्होंने अंग्रेजी में लिखा है और उससे कम पंजाबी में । हिन्दी के हिस्से में तो केवल छ निबन्ध ही पा सके। लेकिन इनका साहित्यिक सम्मान तीनों भाषाओं में एक समान ऊँचा है। पंजाबी में इनकी तीन पुस्तकें बहुत प्रसिद्ध हैं-१ खुले मैदान ॐ पूर्णसिंह जी की अंग्रेजी की तीन पुस्तकों-'टेन मास्टर्स' तथा 'दि स्टोरी व राम' एवं चरखे के गीतों का अनुवाद 'दि सिस्टर्स ऑव स्पिनिंग ह्वील' का उल्लेख पहले हो चुका है । इसके अतिरिक्त इनकी अंग्रेजी में लिखी और अनूदित पुस्तकों की सूची यह है-(१) स्प्रिट वार्न पिपुल (२) दि अनस्ट्रांग बीड्स (३) एट हिज फीट (४) एन अाफटरननून विथ सेल्फ (५) दि स्प्रिट ऑव ओरियन्टल पोयट्री (६) बीना प्लेयर (७) हिमालियन पाइनस (5) दि टेम्पुल व तुलिप्स (8) बर्निग कैन्डिल्स (१०) स्प्रिट ऑव सिख (११) गुरु नानक जी के 'जपजी' का अनुवाद और (१२) भाई वीरसिंह की कविताओं का अनुवाद । बीस