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पूर्ण सिंह का हृदय प्रभावित न हुआ। इससे माता को दु:आ हुआ किन्तु उन्होंने इसका साथ न छोड़ा और दो-तीन दिन के बाद पुत्र को घर चलने के लिए राजी कर लिया। पूर्ण सिंह जी जब घर लौटे, चाँदनी रात थी। चाँदनी में भगवा वस्त्र ज्ञपहने जब ये घर के आँगन में उपस्थित हुए तब माता के संकेत करने पर भी इनकी टकटकी लगाए देख कर बहनों को आश्चर्य हुआ और जब उन्होंने भाई को पहचान लिया, प्रेम की आँसुऔ की धारा उनकी आँखैं से बह चली किन्तु उस समय पूर्ण सिंह की आँखों से आँसू न निकले।