पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/६८२

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६४४ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय स्पष्ट नहीं,. १८, २३ को कानूनकी किताबसे हटा लेनेपर भारतीयोंको अन्य प्रजाजनोंके समान दर्जा देनेमें कोई बाधा नहीं, २४; को पूरी तरह रद कर देनेसे ही विषम स्थितिका प्रतिकार सम्भव, २७ को रद कर देनेपर प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियम उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीयों के प्रवेशमें बाधक नहीं, ६०; को रद करनेका गांधीजीका आग्रह, १३०१ को रद करनेका जनरल स्मट्सका विचार, १८८; को रद करने की भारतीयोंकी माँग, ७६, १७२, को रद करनेके लिए जनरल स्मट्स तैयार, ५२६; को रद करनेके लिए जनरल स्मट्स वचनबद्ध, ७७, ५२३; को रद करनेके विषय में प्रार्थना, १८-१९, ३१२, को रद कराना भारतीयोंका उद्देश्य, ५२२; को रद करानेके लिए भारतीयोंका संघर्ष, २८६ को लेकर सरकार और भारतीयों के बीच कुछ मतभेद, १०५ -में केवल अस्थायी अनुमतिपत्रों का उल्लेख, १४५; -से एशियाई पंजीयन संशोधन अधिनियम अच्छा, १७ ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन संशोधन अधिनियम, १, १७, १०३, १०६, १०९ पा० टि०, ११४, १४४, २४९, २६१-६२, २९८, ३२६, ३३३, ४०४-५ -एशियाई कानूनसे अच्छा, १७; न माननेके कारण भारतीयोंको अधिकारियों द्वारा निकासी पास देने से इनकार ८२; -दोनों सदनोंमें पास, १७६ -दोषपूर्ण, १८; -महा- महिमकी सरकार के विचाराधीन, २३१ -लागू, ६६, ७६; -के अन्तर्गत अर्जी दिये बिना आनेपर नये कानूनके साथ प्रवासी कानून भी लागू, ८९; -के अन्तर्गत गांधीजीपर मुकदमा, १०५ -के अन्तर्गत डाह्या नरसीपर अँगुलियोंकी छाप न देनेका आरोप, १०५; के अन्तर्गत विनियम प्रकाशित, ६८; के खण्ड १६ में शिक्षित भारतीयोंको राहत देते की व्यवस्था उपलब्ध, २५; के लाभ भारतीय शिकायत दूर होने तक उठानेको तैयार नहीं, १७३; पर गांधीजी, ६६: में एक या दो खामियाँ, ६०; - में तुर्कांके मुसलमान पंजीयन की परेशान-भरी पद्धति से मुक्त, २२ ट्रान्सवाल प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियम, ३०, ३३, ४८, ५० पा० टि०, ६०, २९१, २९४-९५, ३२०, ३३३, ३४२; ४८२, ५२३-२४ -आमोद दावजीपर लागू नहीं, १०४ - एशियाई कानूनके रद कर देनेपर उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीयोंके प्रवेशमें बाधक नहीं, ६०; गांधीजीकी राय में ताजके अधीन उपनिवेशके उपयुक्त कानून नहीं, ४०८; -साम्राज्य सरकार द्वारा शिक्षित भारतीयों के प्रश्नके कारण ही मंजूर, १८९; -की जनरल स्मट्स द्वारा की गई व्याख्यासे शिक्षित भारतीय निषिद्ध प्रवासी, १७३; के अन्तर्गत शिक्षित भारतीयोंको निषिद्ध प्रवासी मानना एशियाई कानून रद करने की शर्त, १२९; के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय के फैसलेके अनुसार शिक्षित भारतीय निषिद्ध प्रवासी नहीं, १२८; के सम्बन्ध में साम्राज्य सरकारकी भूल, १३०; द्वारा शान्ति-रक्षा अध्यादेशका स्थान ग्रहण, २६, ५१; -में जनरल स्मट्स सुधार करानेके लिए तैयार नहीं, ४०९ - में संशोधनके लिए जनरल स्मट्स द्वारा एक मसविदा प्रचारित, २९३; - में सामान्य शिक्षण कसौटीका विधान, २४, ५१; -से रंगके कारण कोई रोक नहीं, २४ दक्षिण अफ्रीकी संघ अधिनियम, , - लगभग स्वीकृत, ३०९ का मसविदा, १९२, ३०२; पर गांधीजी, २६७ नेटाल गिरमिटिया प्रवासी कानून संशोधन अधिनियम, ३४७ नेटाल विक्रेता परवाना अधिनियम, ३४ पा० टि०, ५६ पा० टि०; -ब्रिटिश भारतीय समाजके अनुभव में अन्यायपूर्ण, ३४४; रद करना नेटालके लिए अभी शेष, ७२; के सम्बन्धमें ब्रिटिश सरकार द्वारा नेटाल सरकारसे लिखा-पढ़ी, ४२०; द्वारा दी गई सत्ताका शुरूसे ही दुरुपयोग, ३४४ अधिवास प्रमाणपत्र, २३ अध्यादेश, १, १९०३, १५५ पा० टि० -३, १९५०, ५६ पा० टि० -५८, १८०३, ३९ ट्रान्सवाल एशियाई कानून संशोधन अध्यादेश; -से - एशियाइयोंके विरुद्ध पूर्वग्रहकी पराकाष्ठा, ४४३ मसविदा रूप एशियाई अधिनियम संशोधन अध्यादेश, २६ शान्ति रक्षा अध्यादेश, १२८. २९५ -उपनिवेशकी शान्ति और व्यवस्थाके लिए १९०२ में पास, २९१; -का प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियम द्वारा स्थान ग्रहण, २६, ५१; की रूसे गवर्नरको अनुमतिपत्र जारी करनेके सम्बन्ध में पूर्ण विवेकाधिकार ५४; के अन्तर्गत शान्ति स्थापनाके बाद सामन्यतः प्रवास नियन्त्रित, २६; के अन्तर्गत शिक्षित एशियाई ट्रान्सवालमें प्रवेश करनेमें समर्थ, ५१; -के अन्तर्गत सन्धि होनेके बाद भारतीयोंका प्रवास नियंत्रित, ५१ Gandhi Heritage Porta