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कैदियों की स्थिति

जेलमें काम

रोजा रखनेवालों और उसी तरह अन्य भारतीय कैदियोंको फिलहाल बहुत थोड़ा काम दिया जाता है। श्री शेलत तथा श्री मेढ रसोई में व्यस्त रहते हैं। बाकी लोग कमरे साफ करनेका अथवा ऐसा ही कोई फुटकर काम करते हैं। इन कामोंमें किसी प्रकारकी मेहनत अथवा तक- लीफ महसूस नहीं होती । यदि कोई बीमार दीख पड़ता है, तो उसे कामसे बिलकुल मुक्त कर दिया जाता है । जेलर आदि सभी अधिकारी ठीक बरताव करते हैं। टोपी उतारनेके बदले सलाम करने से काम चल जाता है । वैसे यह तुच्छ बात है । अंग्रेजी ढंगकी टोपी लगानेवाले टोपी उतारने को ज्यादा सुविधाजनक मानते हैं। फिर भी इस विषय में अधिकारी परेशान नहीं करते, यह बतानेके लिए उक्त खबर दे रहा हूँ । पारसियोंको अपना विशेष कुरता और जनेऊ (सदरा और कस्ती) पहनने और अपने ही ढंगकी टोपी लगानेकी इजाजत मिल गई है ।

जेलमें खुराक

खुराक में सवेरे पूपू, दोपहरको पर्याप्त चावल और हरी सब्जी (जैसे करमकल्ला आदि ) और शामको काफी चावल और सेम मिलते हैं। भोजन अपने ही हाथका बना होने के कारण खाने योग्य होता है । पूपूसे होनेवाली मुश्किलका जिक्र छोड़ दें, तो भोजनमें केवल घी-सम्बन्धी कमी ही कही जा सकती है । यहाँकी जेलके नियमोंके अनुसार घी अथवा चर्बी, कुछ भी भारतीय कैदीको नहीं मिल सकता। इसलिए डॉक्टर से शिकायत की गई है और डॉक्टरने इस विषय में जाँच करने के लिए कहा है । अतः आशा की जा सकती है कि घी दिये जानेका हुक्म हो जायेगा। थोड़ा-बहुत पूप्पू प्रायः सभी कैदी खा लेते हैं ।

उपवास

केवल श्री रतनजी सोढा कुछ भी नहीं खाते हैं। वे और उनके साथी भारतीय बुधवारको दाखिल हुए थे । बुधवारको उन्होंने रेलगाड़ी में खाया था; उसके बाद कुछ भी नहीं खाया है । उन्होंने केवल थोड़ी मूंगफली एक दिन खाई थी। वे यह उपवास अपनी इच्छासे कर रहे हैं। फिलहाल इसे कुछ और समय तक चलाते रहने का इरादा रखते हैं। वे इसका कारण यह नहीं कहते कि उन्हें यहाँ की खुराक नापसन्द है; बल्कि उपवास कबतक किया जा सकता है, इसे जानने के लिए प्रयोग कर रहे हैं ।

जेलकी बनावट

जेल में भारतीय ऐसे आरामसे रहते हैं कि उसे महल ही माना जा सकता है । जेलकी बनावट भी बहुत अच्छी है । इमारत पत्थरको बनी हुई है। कोठरियाँ बड़ी-बड़ी हैं। हवा और प्रकाशकी ठीक सुविधा है । बीचमें चौक है, जिसमें काले पत्थरका फर्श है । नहाने के लिए तीन फव्वारे हैं, जिनमें से पानी खूब निकलता है । उनके नीचे मजेका स्नान किया जा सकता है । जिनके मुकदमे चले नहीं हैं, उन्हें रोटी और चीनी भी मिलती है । चौकपर कांटेदार तारोंकी जाली है । बन्दोबस्त होते हुए भी दो हबशी [ एक बार] टीनका छप्पर तोड़कर भाग गये। इसलिए अब लोहेकी मजबूत छत बना दी गई है ।