नहीं किया जा रहा है और इसीके प्रति विरोध प्रदर्शित करनेके लिए मैंने बिना परवानेके फेरी लगानेका काम शुरू किया है।
न्यायाधीशने पूछा कि क्या गवाह उन चौदह लोगोंमें से एक है जिन्हें छूट दी गई है?
श्री गांधीने कहा कि मैं छूटके बारेमें कुछ नहीं जानता। यदि कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें छूट मिली है तो वे बहुत सौभाग्यपूर्ण स्थितिमें हैं।
सरकारी वकीलने कहा कि कुछ लोगों को छूट मिली है और यदि अभियुक्तको मिली होती तो शायद उसे मालूम होता।
श्री गांधीने कहा, मुझे छूटके बारेमें तनिक भी सूचना नहीं है। मेरी स्थिति यह है कि मेरे मुवक्किलको दुःख हुआ और उन्होंने अपने अपेक्षाकृत गरीब देशवासियोंके साथ कष्ट झेलनेका फैसला किया है, क्योंकि स्वेच्छया पंजीयन करानेके बाद अब सहसा उनसे एशियाई अधिनियम स्वीकार करनेको कहा जा रहा है।
न्यायाधीश: आपने अपनेको फेरीवालोंको स्थितिमें रखनेके लिए ही इधर फेरीका काम शुरू किया?
अभियुक्त: मैंने फेरीका काम अपने देशवासियोंकी रक्षाके लिए शुरू किया।
श्री गांधी: आप उन लोगोंमें से हैं जिन्होंने समझौता पूरा करनेमें सरकारकी सहायता की थी?
[ अभियुक्त: ] हाँ; मैंने अपने लोगोंको समझानेका प्रयास किया था कि समझौतेका अर्थ क्या है और उन्हें बताया कि यदि वे स्वेच्छया पंजीयन करा लेंगे तो उन्हें विवश नहीं किया जायेगा।
[ गांधीजी: ] और जिस समाजके आप प्रतिनिधि हैं उसके सदस्योंने आपकी सलाह मानी और स्वेच्छया पंजीयन प्रमाणपत्र लिये?
[ अभियुक्त: ] हाँ।
आगे जिरह करनेपर गवाहने बताया कि मैंने उन फेरीवालोंके विषयमें एक परिपत्र देखा था जो अधिनियमका पालन नहीं करते। मैं विवाहित हूँ और मेरी पत्नी तथा बच्चे जोहानिसबर्गमें रहते हैं और मैं स्वयं तेरह वर्षतक वहाँ रहा हूँ।
छूट
परवानोंके मुख्य निरीक्षक, श्री टी० एच० जेफर्सनने श्री गांधीके प्रश्नके उत्तरमें बताया कि मेरे पास ऐसे व्यक्तियोंके नामकी एक सूची है जिन्हें अधिनियमकी शर्तें माननेसे छूट मिली हुई है। वे अँगूठोंके निशान देने को विवश नहीं हैं। मुझे नाम स्मरण नहीं हैं और यह सूची मुझे कल ही मिली है। मुझे यह नहीं मालूम कि अभियुक्तोंमें से किसीको छूट मिली है, या नहीं।
श्री गांधीने अदालतको सम्बोधित करते हुए कहा कि मैं जिस एकमात्र प्रश्नको चर्चा करूँगा वह है छूटका प्रश्न। मैं अदालतसे कहूँगा कि वह सरकारकी मनमानी कार्यवाहियोंपर ध्यान दे। मुझे इस बातकी कतई कोई जानकारी नहीं है कि कुछ लोगोंको छूट दी गई है,