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स्वर्गीय डॉक्टर पोप

खिड़कियाँ थीं। उनमें मजबूत सरिये लगे हुए थे। इसलिए जितनी हवा आती थी वह हम लोगोंके हिसाबसे काफी नहीं थी। उस कोठरीकी दीवारें टीनके पतरोंकी थी। उनमें तीन जगह आधे-आधे इंच व्यासवाले काँचके झरोखे थे जिनसे जेलर छिपे ढंगसे यह देख सकता था कि कैदी भीतर क्या कर रहे हैं? हमारी कोठरीके पास हो जो कोठरी थी उसमें वतनी कैदी थे। उनके पास की कोठरीमें गवाह लोग रखे गये थे जिनमें वतनी, चीनी और केप बॉय थे। वे भाग न जायें, इसलिए उन्हें जेल में रखा गया था।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ७-३-१९०८

६२. स्वर्गीय डॉक्टर पोप

'टाइम्स' में प्रकाशित स्वर्गीय डॉक्टर जी० यू० पोपकी[१] जीवनी हम अन्यत्र दे रहे हैं। वे उन चन्द आंग्ल-भारतीयोंमें से थे जो आज भी पचास वर्ष पूर्वकी परम्पराको लेकर आगे बढ़ रहे थे। उनकी विद्वत्ता और पाण्डित्यको अन्य किसी भी बाह्य प्रमाणकी आवश्यकता नहीं है। उनकी कृतियाँ ही ऐसा स्मारक हैं जिनसे उनका नाम सदैव जुड़ा रहेगा। मद्रासके लोगोंमें डॉक्टर पोपकी अपेक्षा अधिक श्रद्धा तथा गहनतर सम्मान-भावना किसी अंग्रेजके प्रति नहीं रही। उनका उदाहरण मद्रासके शिक्षित वर्गके लिए एक ज्योतिपुंज है। वह ज्योति उन्हें खोज और व्याख्याके रास्तेपर आगे बढ़ानेवाली है, जिससे संसार उस महान् अतीतके बारेमें कुछ जान सके जो अभी हाल ही में विस्मृतिमें डुबा दिया गया है और साहित्य, भाषा-विज्ञान, दर्शन तथा धर्मशास्त्रके भण्डार प्रकाशमें आ जायें एवं लोगोंको भविष्यमें अपने विकासकी दिशाका कुछ संकेत मिल जाये। डॉक्टर पोपका देहावसान भारतीय तथा यूरोपीय विद्वत्समाज के लिए समान क्षति है। उनकी स्मृति सदैव उन्हें प्यारी रहेगी जो भारतको प्यार करते हैं और जिन्होंने भारतीयोंके बीच मेहनतकी जिन्दगी बिताते हुए, उनके प्रति सहानुभूतिके भावसे प्रेरित होकर भारतको प्रबुद्ध करनेका काम किया है।

[ अंग्रेजी से ]
इंडियन ओपिनियन, १४-३-१९०८
 
  1. जॉर्ज उग्लो पोप (१८२०-१९०८) दक्षिण भारतमें मिशनरी कार्यकर्ता, १८३९-८१; ऑक्सफर्ड युनिवर्सिटीमें तमिल तथा तेलगुके प्राध्यापक, १८८४-९६; तमिल भाषा सम्बन्धी कुछ पुस्तकोंके लेखक तथा कुरल और तिरुवजागमके अनुवादक।