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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

रोजगारके बारेमें कर्मचारी मिलनेके लिए आ सकता था। जेलर भी भला था। जेलमें मिलनेके लिए श्री भायातके मैनेजर, और श्री अब्दुल लतीफ अली आये थे।

मेरी धारणा शुरूसे ही थी कि गाँवोंकी जेलोंमें भारतीयोंको कुछ भी अड़चन नहीं होगी; क्योंकि कई प्रकारकी छूट, जो वहाँ ली जा सकती है, जोहानिसबर्ग, प्रिटोरिया, आदि नगरोंकी जेलोंमें मिल ही नहीं सकती। अब भी हमें बहुत काम करने पड़ेंगे और कई बार जेल जाना होगा; इसलिए इस प्रकारकी जानकारियाँ ध्यानमें रखने जैसी हैं।

संघकी सभा

ब्रिटिश भारतीय संघकी समितिकी एक सभा शुक्रवार तारीख २१ को हुई थी। भारतीय बड़ी संख्यामें उपस्थित थे। कुछ चर्चा हो चुकनेपर श्री इमाम अब्दुल कादिर द्वारा प्रस्तुत और श्री थम्बी नायडू द्वारा अनुमोदित इस आशयका प्रस्ताव पास किया गया कि श्री रिचकी कद्र करने के लिए दक्षिण आफ्रिकासे कमसे-कम ३०० पौंडकी रकम उनके पास भेजनेका प्रबन्ध किया जाये। और यदि आवश्यक हो तो संघकी निधिसे उसके लिए १०० पौंड ले लिए जायें।[१] लॉर्ड ऐम्टहिल और सर मंचरजी भावनगरीको २५ पौंड तकके मानपत्र भेजे जायें, श्री पोलकको ५० पौंडकी भेंट दी जाये, कुमारी स्लेशिनको १० पौंडकी या उससे अधिककी, श्री आइजकको[२] १० पौंडकी, श्री कर्टिसको १० पौंड की; और इसी प्रकार उन दूसरोंको भी, जिन्होंने संघर्षमें बहुत हाथ बँटाया हो। श्री कार्टराइट, श्री फिलिप्स, श्री डोक आदि सज्जनोंको निजी रूपसे भोज देनेका विचार भी उसी सभामें हुआ। उस भोजके लिए दो गिनीके टिकट निकाले जायेंगे। ऐसी उम्मीद है कि ये टिकट ३० भारतीय लेंगे। और इस रकमसे लगभग २० प्रतिष्ठित गोरोंको आमंत्रित करनेका खर्च निकल आयेगा। यदि यह हुआ तो इस प्रकार भोजमें इतने भारतीय और गोरे इकट्ठे हो जायेंगे कि दक्षिण आफ्रिकामें यह प्रायः प्रथम उदाहरण कहलायेगा।

संघने कद्रदानीका जो यह प्रस्ताव किया है उसमें उसने केवल अपना कर्त्तव्य पूरा किया है, ऐसा मैं मानता हूँ। जिन गोरे व्यक्तियोंने काम किया है उन्होंने अत्यन्त विशुद्ध भावसे और किसी भी प्रकार भेंटकी अपेक्षा न रखकर किया है। चीनी संघ भी इसी प्रकारका प्रस्ताव करनेवाला है। मैं आशा करता हूँ कि श्री रिचके लिए खास चन्दा किया जायेगा और इसके लिए संघकी स्थायी निधिमें हाथ नहीं लगाया जायेगा। श्री रिचकी सेवा ऐसी है कि उनके लिए किसी भी भारतीयको थोड़ा-बहुत देनेमें संकोच नहीं करना चाहिए।

एक सूचना

इस समय जोहानिसबर्गके ही पंजीयन कार्यालयमें भारतीयोंकी इतनी भारी भीड़ है कि बाहरके नगरोंसे वे ही भारतीय आयें जिन्हें भारत जानेकी बड़ी जल्दी हो। शेष लोगोंको बादमें समय मिल जायेगा।

 
  1. देखिए पृष्ठ ६३, ८६ तथा १०२-३।
  2. गैब्रियल आई० आइज़क; ब्रिटिश यहूदी और जौहरी; जोहानिसबर्ग शाकाहारी रेस्त्रासे सम्बन्धित, और शाकाहारी; फिनिक्स बस्तीके एक समय सदस्य रहे, इंडियन ओपिनियनके लिए चन्दा और विज्ञापन प्राप्त करनेके लिए यदा-कदा दौरे किये; उक्त पत्रके और गांधीजीके हर कामके लिए सदैव तत्पर रहे; बादमें सत्याग्रही बन गये।