२ क परिशिष्ट आय व्ययका संक्षिप्त हिसाब सितम्बर [१, १९०७ ] से नवम्बर २३, १९०७ तक विज्ञापन - शिष्टमण्डल तथा संघ सम्बन्धी हिसाब में समुद्री तार-प्रवासी विधेयक, दादाभाईके जन्म-दिवसपर, प्रोफेसर गोखले व एस० वैनर्जीको तथा सम्राट के जन्म-दिवसपर जस्टिन तथा प्रिटोरिया तक का किराया सिन्हा वासा रंगास्वामी के मामले में वकील ग्रेगरोवस्कीको, रायके लिये समाचारपत्र- केप गवर्नमेंट 'गजट', 'लीडर', 'मेल', तथा लन्दन पौं० शि० पे० ४१५ ० १५ ७ ६ ३ ७ ८ ख बचा पिछले हिसाब से कुनवियों द्वारा नकद संग्रह-दूलब भागाके हत्थे कंडक्टरने चेक नहीं भुनाई नकद चिंदे के भारतीयोंसे नकद [ दान ], अल्बर्ट व कं० से ५०५ पौं० शि० पे० ९४ १७ ५ ११ ०० ० १० oooo ३३ १५ ९ २५ ० ० नकद, जी० पी० व्याससे बाबत प्रिटोरियाका किराया १ २ संघके खातेसे नकद वापस १८ १५० हिन्दू समाजको कुरसियोंकी विक्री १३ ५ ९ समितिको प्रति सप्ताह 'इंडियन ओपिनियन' की ३० प्रतियाँ रस्टेनवर्गकी संयुक्त सभा (युनाइटेड १० १ असेम्बली) से १५ १ ३ छपाई के० डिकिन्सन व कं०, प्रार्थना- २१३ ५ २ पत्रकी छपाई तथा जिल्द बँधवाई १४ १ ६ टिकट ३ ४ ८ फुटकर ० १५ ५ तार- पण्डित के मुकदमे आदिके सम्बन्ध में ८ १२ ४ टाइपिस्ट, सितम्बर व नवम्बर में १० ०० पहलेका शेष १४० १८ १ २१३ ५ २ [ अंग्रेजीसे ] इंडियन ओपिनियन, ३०-११-१९०७ परिशिष्ट ८ ब्रिटिश भारतीय और ट्रान्सवाल एल० डब्ल्यू० रिच भूमिका ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी शिकायतोंके एक संक्षिप्त विवरणकी माँग बार-बार की गई है; इसीसे इस विषयका एक संक्षिप्त इतिहास लिखनेका खयाल आया । इस मामले में लोगोंकी दिलचस्पी बढ़ती जाती है। उनके सम्मुख संक्षेपमें तथ्योंको रखनेका यह एक प्रयत्न है । लेखक ट्रान्सवालमें अपने आगमनले पूर्वके इतिहासके लिए सरकारी रिपोटका ऋणी है। पीछेके अठारह वर्षोंके तथ्य उसके अनुभूत तथ्य हैं । इस लघु कृतिमें साहित्यिक योग्यताका कोई दावा नहीं है। इसकी शैली और रचना निस्सन्देह असंख्य दोषोंसे युक्त है । उनके सम्बन्धमें लेखक पहलेसे अपना दोष स्वीकार करता है । केवल तथ्योंकी ओर सादर ध्यान आकर्षित किया जाता है। २८, क्वीन ऐन्स चैम्बर्स, एस० डब्ल्यू ० ७-११-१९०७
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