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३४२. डेलागोआ-बेके भारतीय

डेलागोआ-बेमें भारतीयोंको रोकनेके लिए बनाये गये सारे कानून इस अंकमें छाप रहे हैं। इसकी धाराएँ बहुत ही बुरी हैं। जान पड़ता है इस सम्बन्ध में भारतीय लोग गवर्नरसे मिल चुके हैं। परन्तु इसका कोई सन्तोषजनक उत्तर नहीं मिला। यह कानून यदि कायम रहा तो प्रतिष्ठित भारतीयोंको भी डेलागोआ-बे जाते समय अपनी तस्वीरवाला अनुमतिपत्र रखना पड़ेगा। ट्रान्सवालसे जानेवाले व्यक्तिको तभी अनुमतिपत्र दिया जाता है जब यह साबित हो जाये कि उसे वापस ट्रान्सवाल लौटनेका अधिकार है। यह सारा पाखण्ड प्रिटोरियासे पैदा हुआ है। किसी भारतीयको यदि सदाके लिए डेलागोआ-बे छोड़ना हो, तो भी वह बिना अनुमतिपत्रके नहीं छोड़ सकता। छोड़ तभी सकता है जब वह साबित कर दे कि उसने स्वयं कभी अपराध नहीं किया और वह दिवालिया नहीं है। यह एक और तथा अलग प्रकारके जुल्मका श्रीगणेश माना जायेगा। इस कानूनसे भारतकी पुर्तगाली प्रजाको मुक्त रखा गया है।

क्या डेलागोआ-बेके भारतीय ऐसे कानूनके सामने झुकेंगे? मौलवी साहब अहमद मुख्त्यार जब डेलागोआ-बेसे लौटे, उन्होंने वहाँके भारतीयोंके आलस्य और लापरवाहीका बढ़िया चित्र खींचा था। यदि डेलागोआ-बेका भारतीय समाज अब भी आलस्य नहीं छोड़ेगा और आवश्यक कार्रवाई नहीं करेगा तो वह सारे भारतीयोंके तिरस्कारका पात्र बन जायेगा।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २८-१२-१९०७

३४३. दाउद मुहम्मदको बधाई

श्री दाउद मुहम्मदकी लड़की आशाबीबीका विवाह उनके भतीजे श्री गुलाम हुसैनके साथ हुआ। इसका संक्षिप्त विवरण हम पिछले सप्ताह दे चुके हैं। अब हम उन्हें उनकी लड़कीको और दामादको बधाई देते हैं और कामना करते हैं कि दम्पती सुखी और दीर्घायु हों। किन्तु सच्ची बधाई तो, श्री दाउद मुहम्मदन विवाहके समय जिस सादगीसे काम लिया और जो भाईचारा बरता, उसके लिए दी जानी चाहिए। धर्मके साधारण नियमोंका लोग पालन करें तो उससे वे सुखी हो सकते हैं, सादगीका पालन किया जा सकता है और बेकार खर्चकी परेशानियोंसे बचा जा सकता है। श्री दाउद मुहम्मदने विवाह शरीअतके अनुसार किया। नतीजा यह हुआ कि इस विवाहमें बेकारका आडम्बर बिलकुल नहीं था। इस उदाहरणका मतलब यह है कि गलत रिवाजोंको छोड़कर धार्मिक रीतिसे विवाह करें। यह सबके लिए अनुकरणीय है। श्री दाउद मुहम्मदने निकाहके समय जो भाईचारा बरता उसे भी हम ऐसा