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पत्र: उपनिवेश-सचिवको


एस्टकोर्टका निकाय श्री हाफिजीवाले मामलेमें सर्वोच्च न्यायालयके निर्णयके खिलाफ सम्राटकी न्याय परिषदमें अपील करनेके लिए अनुमति माँगना चाहता है, इसका खुलासा करते हुए श्री गांधीने कहा:

निकाय अपील करनेकी अनुमति चाहता है। वह नहीं दी जा सकती। क्योंकि, उसमें खर्च ज्यादा होनेकी सम्भावना है और यह नहीं दीखता कि परिणाम कुछ होगा। फिर भी सम्राट्की न्याय परिषदमें अपील करनेकी अनुमति यदि कोई मांगता है तो हम रुकावट नहीं डालेंगे।

इतने स्पष्टीकरणके बाद श्री गांधीने बताया कि आज भारतके पितामह दादाभाई नौरोजीकी जयन्ती है। उसके सम्बन्धमें एक तार[१] सवेरे भेज दिया गया है। इस प्रसंगपर टोंगाटके भारतीयोंने तार द्वारा सूचित किया कि हम दादाभाई नौरोजीकी दीर्घायुकी कामना करते हैं।

इसके बाद सब उठकर खड़े हुए और उन्होंने दादाभाईकी दीर्घायुके लिए कामना की तथा उनकी खुशहालीके लिए तीन नारे लगाये। रातके दस बजे सभा समाप्त हुई।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ७-९-१९०७

१६८. पत्र:उपनिवेश-सचिवको

[जोहानिसबर्ग
सितम्बर ७, १९०७ के पूर्व]

[उपनिवेश सचिव

प्रिटोरिया

महोदय,]

मेरे संघको विश्वस्त रूपसे पता चला है कि सरकार एशियाई पंजीयन अधिनियमके अन्तर्गत विलम्बित प्रार्थनापत्र लेनेसे पूर्व प्राथियोंसे इस आशयके हलफनामे ले रही है कि उन्होंने अभीतक संघके कुछ सदस्योंके अनुचित दबावके कारण ये प्रार्थनापत्र नहीं दिये।

यदि मेरे संघको प्राप्त सूचना सत्य है, तो मैं आदरपूर्वक निवेदन करता हूँ कि जहाँतक मेरी जानकारी है, संघके किसी सदस्यने कभी कोई ऐसा दबाव नहीं डाला है; और मेरा संघ नम्रतापूर्वक प्रार्थना करता है कि यदि किसी व्यक्तिने ऐसा आरोप लगाया है, तो जिसपर आरोप लगाया गया है, उसे इस सम्बन्ध में उचित जानकारी देनेकी कृपा की जाये।

[आपका, आदि,
ईसप इस्माइल मियाँ
अध्यक्ष
ब्रिटिश भारतीय संघ]

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ७-९-१९०७
  1. देखिए "तार: दादाभाई नौरोजीको", पृष्ठ २१०।