सके। सर लेपेल ग्रिफिनने शिष्टमण्डलका नेतृत्व और श्री अलीका तथा मेरा परिचय कराना स्वीकार कर लिया है।
मैं आशा करता हूँ कि शिष्टमण्डलकी भेंटके पहले लॉर्ड एलगिनको जो निवेदनपत्र[१] दिया जा रहा है, उसकी एक प्रति आप लोगों को जल्दी ही भेज सकूँगा। इसी निवेदनपत्रको आधार मानकर शिष्टमण्डल अपना कार्य करेगा।
आपका विश्वस्त,
मो० क० गांधी
गांधीजी के हस्ताक्षरयुक्त टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४२९) से।
४९. पत्र : प्रोफेसर परमानन्दको
[होटल सेसिल
लन्दन]
अक्तूबर ३१, १९०६
मुझे अफसोस है कि आज आप यहाँ नहीं होंगे। पिल्लेका मामला बहुत दुःखदायी है। मेरी समझमें नहीं आता कि क्या किया जाये, किन्तु जब हम मिलेंगे, हमें कुछ-न-कुछ सोच निकालना ही होगा। जान पड़ता है, उसे भोजन पाना भी दूभर हो रहा है। क्या आप उसके मामलेको पूरा-पूरा समझकर, यदि आवश्यक हो तो, इंडिया हाउसमें उसके रहनेका प्रबन्ध करेंगे?
आपका शुभचिन्तक,
६५, क्रॉमवेल ऐवेन्यू
टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४३०) से।
- ↑ देखिए "आवेदनपत्र: लॉर्ड एलगिनको", पृष्ठ ४९-५७।