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पत्र: हेनरी एस० एल० पोल्कको

जानकारी देने में मुझे खुशी होगी। दुःख है कि मेरे साथो-प्रतिनिधि श्री अली इस समय लेडी मार्गरेट अस्पतालमें पड़े गठियाका इलाज करा रहे हैं।

आपका विश्वस्त,

श्री जी० जे० ऐडम
[१] ८२, शैफ्ट्सबरी ऐवेन्यू, डब्ल्यू ०

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४४००) से।

१८. पत्र: हेनरी एस० एल० पोलकको

होटल सेसिल
लन्दन
अक्तूबर २६, १९०६

प्रिय श्री पोलक,

जिन्हें मैं उपयोगी मानता हूँ ऐसी सारी कतरनें आपको भेज रहा हूँ। यदि मैं समय निकाल सका तो गुजराती स्तम्भोंके लिए स्त्रियोंके मताधिकार-संघर्षका सारानुवाद करूँगा[२] किन्तु यदि न निकाल सकूँ तो छगनलाल अनुवाद करके इन कीमती कतरनोंका कारगर उपयोग करे। मैंने श्री मुकर्जीसे[३] भी अपनी लन्दनकी चिट्ठी में इसकी चर्चा करने को कहा है। अलबत्ता, जितनी कतरनें भेज रहा हूँ, उन सबका 'इंडियन ओपिनियन' में उपयोग करना जरूरी नहीं है। उनमें से कुछ आप खुद देखना चाहेंगे--इसीलिए मैं उन्हें भेज रहा हूँ।

यहाँ उतरनेके बाद मैं एक क्षण भी आरामसे नहीं बैठा हूँ । उतरते ही शनिवारको काम शुरू हो गया था।

'ट्रिब्यून' के संवाददाताको जहाजपर मैंने भेंट[४] दी और 'मॉर्निंग लीडर' के संवाददाताको, जिसे आपके पिताजी साथ लाये थे, रेलगाड़ीसे उतरते ही स्टेशनपर मुलाकात[५] दी। भोजनके तुरन्त बादमें मैं और श्री अली लन्दन भारतीय समाजके दफ्तर में गये और वहाँ हमने भारतके

'पितामह' का दर्शन किया और सर विलियम[६] और सर हेनरीसे[७] मुलाकात करनेके लिए उनसे समय निश्चित किया। बुधवारकी रातको छोड़कर मैं एक बजेके पहले नहीं सोया। लोगोंसे मिलने-जुलने में बहुत समय जाता है। अबतक मेरे कामकी जो प्रगति हुई है उससे जान पड़ता है कि सर मंचरजी, सर हेनरी कॉटन और अन्य लोगोंके साथ सर जॉर्ज बर्डवुड लॉर्ड एलगिनसे हमारा परिचय करायेंगे। इसलिए अन्दोलन बहुत अच्छा रहेगा। श्री अमीर

  1. रायटरके प्रतिनिधि, देखिए "रायटरको भेंट", पृष्ठ ३३
  2. देखिए "कथनीसे करनी भली", पृष्ठ ३१-३२ ।
  3. गांधीजीने उन्हें इंडियन ओपिनियनके लिए नियमित रूपसे संवादपत्र लिखने और टाइम्सके प्रमुख समाचार और टिप्पणियाँ भेजनेके लिए कहा था। देखिए "पत्र:जे० सी० मुकर्जीको", पृष्ठ ३६।
  4. देखिए "भेंट: 'ट्रिब्यून' को", पृष्ठ १-२।
  5. देखिए "भेंट: 'मॉर्निंग लीडर' को", पृष्ठ २-४ ।
  6. सर विलियम वेडरबर्न ।
  7. सर हेनरी कॉटन।