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४२५. दक्षिण आफ्रिकामें होनेवाले कष्टोंकी कहानी

हमें कई सज्जनोंकी ओरसे सूचना मिली है कि दक्षिण आफ्रिकामें हमें जो कष्ट उठाने पड़ते हैं, उनका एक इतिहास प्रकाशित किया जाये। उसमें आजतक दी गई सारी अर्जियों का अनुवाद आदि दिया जाये। ऐसी पुस्तकें प्रकाशित हों तो बेशक उपयोगी हो सकती हैं और बहुत-सी जानकारी भी मिल सकती है। किन्तु ऐसी पुस्तक शायद १,००० पृष्ठ तक भी पहुँच सकती है। इसलिए उसे बहुत कम कीमत में प्रकाशित नहीं किया जा सकता। उसके पाँच शिलिंग सहज पड़ सकते हैं। जबतक उसकी ५०० प्रतियाँ पहलेसे न बिक जायें तबतक हम वैसी पुस्तक प्रकाशित करनेकी हिम्मत नहीं कर सकते। इसलिए जो ऐसी पुस्तक प्रकाशित देखना चाहते हों, वे हमें लिखित सूचना दें तो हम उसपर विशेष विचार कर सकेंगे।[१]

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १३-४-१९०७
 

४२६. भूतपूर्व अधीक्षक अलेक्ज़ेंडर

भूतपूर्व अधोक्षक अलेक्ज़ेंडरको भारतीय समाजकी ओरसे सम्मान दिये जाने के सम्बन्धमें बहुत समयसे चर्चा चल रही है, फिर भी अभीतक दिया नहीं जा सका। अब बहुत समय बीत गया है। जितना ज्यादा समय जाता है उतना ही हमारा हल्कापन प्रकट होता है। इसलिए अग्रणी लोगोंसे हमारा निवेदन है कि आरम्भ किया हुआ काम तुरन्त ही कर लिया जाये।

[गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १३-४-१९०७
 

४२७. माननीय प्रोफेसर गोखलेका महान प्रयास

प्रोफेसर गोखले इस समय भारतमें दौरा कर रहे हैं और हर जगह भारतकी स्थिति के बारेमें भाषण देते हैं। इस यात्रामें उनका मुख्य उद्देश्य हिन्दू और मुसलमानोंमें एकता पैदा करना है। सब जगह दोनों कौमें उन्हें भोज देती हैं। ऐसा पहले कभी नहीं होता था। इसी यात्राके सिलसिले में वे अलीगढ़ कॉलेज में गये थे। वहाँके विद्यार्थियोंने उनका बहुत ही सम्मानपूर्ण स्वागत किया। वहाँ उन्होंने कहा कि जबतक हम शरीर-श्रम नहीं करेंगे तबतक हमें स्वतन्त्रता नहीं मिलेगी। वहाँ वे नवाब मोहसिन-उल-मुल्कके मेहमान थे; और उनके सम्मानमें बहुत बड़ा भोज दिया गया था। इलाहाबाद, लखनऊ, लाहौर, अमृतसर वगैरह जगहों से भी वे हो आये हैं। उन्होंने वहाँ भाषण देकर लोगों में जागृति और एकताकी भावना में वृद्धि की है।

[गुजरातीस]
इंडियन ओपिनियन, १३-४-१९०७
  1. पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई।