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४१३. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

[अप्रैल ४, १९०७ के पूर्व]

आम सभा

इस विराट सार्वजनिक सभाका विवरण मैंने अलग भेजा है[१], इसलिए यहाँ कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है। सभाका क्या परिणाम होगा, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इस सम्बन्ध में रायटरकी मारफत आधे मूल्यमें विलायत तार भेजा है। उसका २१ पौंडसे ज्यादा खर्च आया है। उसमें करीबन ४४० शब्द हैं और वह विलायतके सभी समाचार-पत्रोंको भेजा गया है। इसके अलावा एक तार दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समितिके नाम गया है।

उपनिवेश सचिवको सभाकी खबर दी है और संघने शिष्टमण्डल के लिए मुलाकातका समय माँगा है। उसका उद्देश्य यह है कि सारे प्रस्ताव उपनिवेश सचिव के समक्ष पेश किये जायें और उन्हें समझाया जाये कि वे दूसरे प्रस्तावमें किये गये निवेदनको मान्य करें।

लॉर्ड एलगिनको भेजने के लिए जो तार श्री स्मट्सको भेजा गया था उसे भेजने से इनकार करते हुए श्री स्मट्सने लिखा है यदि संघ सीधे तार भेजना चाहता हो तो उसके लिए उपनिवेश सचिवकी मनाही नहीं है। इस उत्तरसे मालूम होता है कि नई सरकार भारतीयोंके साथ न्याय नहीं करना चाहती। इसपर संघने लॉर्ड सेल्बोर्नको लिखकर पूछा है कि वे तार भेज सकेंगे या सीधे संघ ही तार भेजे।

रेलकी तकलीफ

मुख्य प्रबन्धकने संघके पत्रका उत्तर दिया है कि ८-३५ बजे सवेरेकी विशेष गाड़ी में भारतीयोंको सिर्फ [गार्डके] वानमें ही बैठने की अनुमति मिलेगी।

प्रिटोरियाका शिष्टमण्डल

उपनिवेश सचिव श्री स्मट्सने आम सभाके प्रस्तावके सम्बन्धमें शिष्टमण्डलसे मिलना स्वीकार कर लिया है। शिष्टमण्डल ता० ४ को प्रिटोरियामें मिलेगा।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ६-४-१९०७
  1. देखिए "ट्रान्सवालके भारतीयोंकी विराट सभा", पृष्ठ ४११-२३।