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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

 

नया चुनाव

पिछले सप्ताहमें ४८ नाम दे चुका हूँ; शेष २१ नाम नीचे दिये जा रहे हैं: पार्कटाउन—कर्नल सैम्सन (प्र॰); न्यूटाउन—आर॰ गोल्डमैन (स्व॰); ट्रिफ़ान्ट्रीन—ए॰ फ॰ बेयर्स (हे॰ फो॰); बारबर्टन—आर॰ के॰ लवडे (स्व॰); कैरोलीना—वेन आरडट (हे॰ फो॰); अरमेलो—कॉलिन्स (हे॰ फो॰); रूडेकोपेन—वेजबुइडन हाउट (हे॰ फो॰); लीडेनबर्ग—सी॰ टी॰ रैबी (हे॰ फो॰); मेरी, कोएल और लोमर (हे॰ फो॰); मिडिलबर्ग—क्लेरको (हे॰ फो॰); डी' वेट (हे॰ फो॰); प्रिटोरिया—जे॰ रिसिक (हे॰ फो॰); डी॰ इरेस्मस (हे॰ फो॰); स्टैंडर्टन—जनरल बोथा (हे॰ फो॰); बेथील—ग्रावलर (हे॰ फो॰); फोक्सरस्ट—जे॰ ए॰ जुबर्स (हे॰ फो॰); वॉटरबर्ग—एफ॰ बेयर्स (हे॰ फो॰); डी' वाल (हे॰ फो॰); ब्लूमहॉफ—आई॰ फरेरा (हे॰ फो॰); जूटपांसबर्ग—मनीक (हे॰ फो॰), और ए॰ मॉन्ट्स। इस प्रकार कुल ६९ में २१ प्रगतिशील, ३५ हेटफोक, ७ राष्ट्रवादी, ३ मजदूरदलीय और ३ स्वतंत्र चुने गये हैं।

चुनावकी धूमधाम समाप्त हो गई है। जो परिणाम निकला है उसकी किसीको कल्पना नहीं थी। डच लोगोंको इतना बड़ा बहुमत मिला है कि वे सभी विरोधी पक्षोंके एक हो जानेपर भी उन्हें हरा सकते हैं। अधिकसे-अधिक यह आशा थी कि डच और राष्ट्रवादी दल दोनोंका मिलकर बहुमत होगा। अर्थात् डच लोगोंने लड़ाईमें जो खोया है वह वैधानिक रीति से वापस पा लिया है। सर रिचर्ड सॉलोमनकी प्रिटोरियामें हार हुई है। इसलिए बहुत गड़बड़ी मची हुई है। सर रिचर्ड अब प्रधानमन्त्री तो बन ही नहीं सकते। लेकिन ऐसी चर्चा चल रही है कि कोई निर्वाचित सदस्य अपनी जगह खाली करके वहाँ सर रिचर्डको चुनावका मौका देगा। यह हो जाने के बाद सम्भव है सर रिचर्ड न्यायमन्त्री बन सकेंगे। जनरल बोथाके प्रधानमन्त्री बनने की सम्भावना है। यानी वे तो लगभग राष्ट्रपति हो गये। डच इस स्थितिसे बहुत खुश हो रहे हैं। इसमें हमारे लिए न बहुत खुश होने की बात है, न बहुत नाराज होने की। फिर भी यह माना जा सकता है कि डच लोग भारतीय समाजके साथ कुछ-न-कुछ न्याय करेंगे। उनके कुछ सदस्य भारतीय समाजको अच्छी तरह जानते हैं। वे एकदम अन्याय करें, ऐसा नहीं जान पड़ता। यह मैं मंगलवार तारीख २६ को लिख रहा हूँ। लेकिन 'इंडियन ओपिनियन' के प्रकाशित होनेके पूर्व ही मन्त्रिमण्डल बन जाये तो आश्चर्य नहीं।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २-३-१९०७