टोंगाट
टोंगाट में बहुत-से भारतीयोंको परवाना देनेसे इनकार कर दिया गया है। उसका कारण दूकानकी गन्दगी और बहीखातोंकी बुरी हालत बताया गया है।
सभी जगहोंमें
सभाएँ सर्वत्र होती रहती हैं और गोरे इस प्रकारका प्रस्ताव स्वीकार करते हैं कि भारतीय व्यापारियोंको परवाने बिलकुल न दिये जायें। इस प्रकारके प्रस्तावोंके परिणामस्वरूप फिलहाल तो सम्भव नहीं है कि सभी जगहोंपर परवाने न दिये जायें, किन्तु यदि आजसे ही प्रयत्न नहीं किया गया, तो इसमें कुछ भी सन्देह नहीं है कि बादमें हाथ मलनेकी नौबत आ जायेगी।
उपाय
उपाय क्या-क्या किये जायें, इस सम्बन्धमें विचार करें। जिन लोगोंको परवाने देनेसे इनकार कर दिया गया है उनके लिए बहुत जरूरी है कि वे परवाना निकायसे अपील करें। अपील करने में खर्च बहुत कम है। अपील करते समय बहीखाते और घर-बारकी स्थिति के बारेमें सबूत देना आवश्यक है। अपील करनेका प्रयोजन यह है कि वैधानिक रूपसे अपील करना ही कानूनके अनुसार एक उपाय है, और दूसरा कोई कदम उठानेसे पहले इसे करना ही चाहिए। फिर, अपील करनेसे यह भी सिद्ध किया जा सकेगा कि परवाना अधिकारी और परवाना निकाय दोनों एक ही हैं। अपील करनेके साथ-साथ स्थानीय सरकार अर्थात् उपनिवेश मन्त्री के पास आवेदनपत्र जाना चाहिए।
कांग्रेस
कांग्रेसकी सहायता कितनी लेनी चाहिए और मालिकको निजी खर्च कब करना चाहिए, यह जान लेना जरूरी है। कांग्रेस सरकारसे लिखा-पढ़ी कर सकेगी। परन्तु प्रत्येक गाँवमें, जहाँ अपीलकी आवश्यकता मालूम हो, खर्च सम्बन्धित लोगोंको उठाना होगा।
दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समिति
हम जानते हैं कि कांग्रेसने समितिके नाम विलायत तार भेजा है कि समिति परवानेके बारेमें कार्रवाई शुरू कर दे। अपीलोंके परिणाम मालूम होनेपर उस समितिको और भी सूचना देना कांग्रेसका कर्तव्य है। समितिके पास सारी जानकारी पहुँचनेपर सम्भव है कि वह बहुत ही अच्छा काम कर सकेगी। इस सिलसिले में यह भी कह देना आवश्यक है। कि सभी लोग करीब-करीब एक ही नीतिसे अथवा एक ही वकीलकी मारफत काम करेंगे तो परिणाम अधिक अच्छा होगा। इस प्रकार हो या न हो, लोगोंको कांग्रेस के मन्त्रियोंको तो तुरन्त सूचना देनी ही चाहिए। परन्तु यदि लोग खबर न दें तो भी कांग्रेसको बैठे नहीं रहना है। मन्त्रियोंको अथवा कांग्रेसकी ओरसे अन्य व्यक्तियोंको गाँव-गाँव जाकर पता लगाना चाहिए। इतना याद रखें कि गोरा समाज समूचे उपनिवेशमें संगठित होकर काम कर रहा है। उसी प्रकार हमें भी करना चाहिए।
भय
इस मुकाबले में हमें भय लेशमात्र भी नहीं रखना है। अपना परवाना प्राप्त करने के लिए दूसरेका कुछ भी हो, इस प्रकारका विचार जो भारतीय रखेगा वह नामर्द और डरपोक