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वेरुलमके मानपत्रका उत्तर

रहने और सभ्य सरकारके अधीन सभी शिष्ट नागरिक जिन साधारण अधिकारोंके हकदार हैं उन अधिकारोंके उपभोगमें मदद करके उनकी भावनाका उत्तर देंगे।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २९-१२-१९०६
 

२८९. स्वागत-समारोहमें भाषण

श्री उमर हाजी आमद झवेरीने गांधीजीके सम्मानमें अपने निवास स्थानपर एक स्वागत समारोह किया था। उसमें गांधीजीने जो भाषण दिया था उसकी संक्षिप्त रिपोर्ट नीचे दी जाती है :

[डर्बन
दिसम्बर २६, १९०६]

श्री गांधीने सबका आभार माना और श्री अली द्वारा की गई मददकी प्रशंसा करते हुए कहा कि अध्यादेशके रद्द हो जाने में हमारे खुश हो जाने लायक कुछ नहीं है। अभी तो हम हिन्दू-मुसलमानोंके लिए एक होकर सच्ची लड़ाई लड़नेका समय आया है। ऐसे प्रत्येक काममें हम सबको एक रहना चाहिए।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन २९-१२-१९०६
 

२९०. वेरुलमके मानपत्रका उत्तर

दिसम्बर २९, १९०६ को वेरुलमके भारतीय समाजने गांधीजी और श्री हाजी वजीर अलीको मानपत्र दिया था। श्री अली अनुपस्थित थे, इसलिए गांधीजीने दोनोंकी ओरसे मानपत्रका उत्तर दिया :

दिसम्बर २९, १९०६

सारे भाषणोंका उत्तर देते हुए श्री गांधीने, श्री अलीको और उन्हें जो सम्मान दिया गया, उसके लिए कृतज्ञता प्रगट की [और कहा कि] मजदूरोंके कष्टोंसे मुझे पूरी सहानभूति है। उनपर जब [३ पौ॰] का कर लगाया गया था, तब हमने पूरी तरह मुकाबला किया था। फिलहाल उस स्थितिमें कोई परिवर्तन होना मुश्किल है। रविवारके कामके सम्बन्धमें भी हम बहुत-कुछ कर सकेंगे सो नहीं जान पड़ता। आप सबने मुझे मानपत्र और आभारका जो सन्देश अलीके पास ले जानेके लिए सौंपा है वह मैं पहुँचा दूँगा।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ५-१-१९०७