पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/२७७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

२५२. पत्र : जॉन मॉर्लेके निजी सचिवको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २४, १९०६

सेवामें

निजी सचिव
परममाननीय जॉन मॉर्ले
भारत-मन्त्री
डाउनिंग स्ट्रीट

महोदय,

यदि आप श्री मॉर्लेका ध्यान निम्नलिखित बातोंकी ओर आकर्षित कर सकें तो हम आभारी होंगे।

कल श्री मॉर्लेने जो कुछ कहा उससे ऐसा जान पड़ता है कि परममाननीय महोदयका विश्वास है कि ट्रान्सवालसे प्रेषित भारतीय 'प्रार्थनापत्र' में अध्यादेशको स्वीकार किया गया है, किन्तु बात ऐसी नहीं है। लॉर्ड एलगिनको प्रतिनिधियोंने जो विस्तृत उत्तर[१] दिया है उससे यह बात स्पष्ट हो जायेगी। हम उसकी एक प्रति संलग्न कर रहे हैं।

साम्राज्यीय आयोगके विषयमें प्रतिनिधियोंने यह प्रार्थना की है कि एक आयोग, बल्कि कहिए कि एक समिति जो स्थानीय भले ही हो, लेकिन सर्वोच्च न्यायालयके जज या जोहा-निसबर्ग के मुख्य न्यायाधीश जैसे निष्पक्ष सज्जन उसमें हों भारतीय समाजपर लगाये गये उन आरोपोंकी जाँच के लिए कायम की जाये जिनको अध्यादेश बनानेका कारण बताया गया है। हमारी नम्र रायमें ऐसी समिति अपनी जाँचका नतीजा अपने संगठनके समयसे एक महीने के भीतर प्रस्तुत कर सकती है। प्रतिनिधि नम्रतापूर्वक निवेदन करते हैं कि जबतक उक्त समिति अथवा आयोगकी जाँचका फल प्रकाशित न हो जाये तबतक, जिस तरह वतनी भूमि- सुधार अध्यादेशपर निषेधाधिकारका उपयोग किया गया था, वैसे निषेधाधिकारका उपयोग किया जाये अथवा शाही मंजूरीको स्थगित रखा जाये।

ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय वहाँ रहनेवाली भारतीय जनताकी पूरी सुरक्षाकी माँग करते हैं; और हमारी नम्र रायमें उपनिवेशके लोगोंकी भावनाके बावजूद उन्हें सुरक्षाका आश्वासन मिलना चाहिए।

आपके आज्ञाकारी सेवक,

[संलग्न]
टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस॰ एन॰ ४६४०) से।
 
  1. देखिए "पत्र : लॉर्ड एलगिनके निजी सचिवको", पृष्ठ २०७-१३।